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यूपीएससी में 15 प्रश्नों ने बढ़ाया अंग्रेजी-हिंदी माध्यम में अंतर

संघ लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 2011 में शुरू किए गए जीएस-टू पाठ्यक्रम के विरोध में देशभर के पांच हजार से अधिक छात्रों ने प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप था कि जीएस टू की वजह से मुख्य परीक्षा में हिंदी...

यूपीएससी में 15 प्रश्नों ने बढ़ाया अंग्रेजी-हिंदी माध्यम में अंतर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Jun 2014 09:43 PM
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संघ लोकसेवा आयोग द्वारा वर्ष 2011 में शुरू किए गए जीएस-टू पाठ्यक्रम के विरोध में देशभर के पांच हजार से अधिक छात्रों ने प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप था कि जीएस टू की वजह से मुख्य परीक्षा में हिंदी माध्यम के सफल अभ्यर्थियों का आंकड़ा दिन पर दिन कम होता जा रहा है।

जीएस-टू के अनिवार्य प्रश्नों के क्रम में 15 ऐसे प्रश्न शामिल कर दिए गए हैं, जिनका अनुवाद बेहद कठिन हिंदी भाषा में होता है। लाख कोशिश करने के बाद भी हिंदी माध्यम के छात्र इस क्रम में इतना स्कोर नहीं कर पाते जिनता कि अंग्रेजी माध्यम के छात्र कर पाते हैं।

पाठ्यक्रम के विरोध में आयोजित अधिकार रैली का नेतृत्व कर रहे अजीत कुमार द्विवेदी ने बताया कि नया पाठ्यक्रम कुछ इस तरह से तैयार किया गया है, जिससे अंग्रेजी माध्यम के छात्र तो प्रश्नों को आसानी से हल कर लेते हैं,जबकि हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए वह विकल्प बेहद कठिन होता है। नये पाठ्यक्रम में 15 ऐसे प्रश्न दिए जाते हैं जिससे अनिवार्य रूप से करना होता है। गद्य के रूप में दिए गए इस प्रश्नों का अनुवाद बेहद कठिन हिंदी में होता है। अधिकार रैली मे शामिल एक अन्य छात्र ने बताया कि वर्ष 2011 से लागू इस पाठ्यक्रम के बाद कुल सफल होने वाले हिंदी माध्यम के छात्रों का प्रतिशत बेहद कम हो गया है।

हाल ही में घोषित हुए यूपीएससी के परिक्षा परिणाम में भी केवल ढाई प्रतिशत छात्र ही सफल हो पाए हैं। एक अन्य छात्र ने बताया कि हिंदी माध्यम के छात्रों की योग्यता को शुरू से ही कम आंका जाता है, यह समस्या प्रारंभिक परीक्षा में ही नहीं साक्षात्कार में भी आती है। जहां पैनल में ऐसे लोगों को शामिल किया जाता है जो हिंदी बिल्कुल नहीं जानते हैं और छात्रों को अंग्रेजी में ही जवाब देने के लिए बाध्य किया जाता है। मालूम हो कि पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए छात्रों ने शुक्रवार को मुखर्जी नगर से रैली निकाली, जाे राजघाट से होती हुई रेसकोर्स तक पहुंची।

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