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नशा छोड़कर बना मिसाल

सुबह शराब, शाम को शराब। रात में नींद खुल जाए तो पानी की जगह शराब। दस साल पहले संजय की हालत ऐसी ही थी। वह नशे में ऐसे डूबे कि घर की जिम्मेदारियां भूल गए। लेकिन अब वह शराब छूते तक नहीं। बल्कि शराब की...

नशा छोड़कर बना मिसाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Jun 2014 11:33 AM
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सुबह शराब, शाम को शराब। रात में नींद खुल जाए तो पानी की जगह शराब। दस साल पहले संजय की हालत ऐसी ही थी। वह नशे में ऐसे डूबे कि घर की जिम्मेदारियां भूल गए। लेकिन अब वह शराब छूते तक नहीं। बल्कि शराब की आगोश में डूबे लोगों की काउंसलिंग कर उनकी नशे की लत छुड़ाने का काम करते हैं।

नालापानी चौक निवासी संजय चंदेल ने नशे की लत से बाहर आकर अब समाज को नशा मुक्त बनाने का जिम्मा उठाया है। 23 साल की उम्र से ही संजय ने शराब पीनी शुरू कर दी थी। थोड़े समय बाद हालत यह हो गई की वो हर समय नशे में रहते थे। परिवार वालों ने सोचा कि शादी करा दें तो शायद जिम्मेदारियों के कारण इस लत को छोड़ दे। शादी के बाद वीडियोग्राफी का काम किया। शादियों में वीडियो के पैसे तो मिलते ही थे उसके साथ शराब भी मुफ्त मिलती थी। इससे नशे की लत बढ़ती गई।

संजय की पत्नी आशा ने उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में डाला। पहले नौ महीने वह सहस्त्रधारा स्थित नशा मुक्ति केंद्र में रहे। उसके बाद नवीन ग्रहण फिर कला नशा मुक्ति केंद्र में रहे। वहां रहकर जब उन्होंने देखा कि वह बिना नशे के भी आराम से रह सकते हैं। आज संजय नशे की गिरफ्त से बाहर आकर राजपुर रोड स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में लोगों को नशे से दूर करने के लिए उनकी काउंसलिंग करते हैं।

छूटी लत
- काउंसलिंग से लोगों को नशा छुड़ा रहा संजय, पहले खुद था शिकार
- बोले-पुराने दिनों के बारे में सोचता हूं तो भरोसा नहीं होता

छोटी उम्र में सबक
23 साल के कपिल थापा शराब की लत छोड़ चुके हैं। 21 साल की उम्र में पहली बार उन्होंने दोस्तों के साथ नशा करना शुरू किया। कपिल ने 12वीं की और अपनी दुकान पर बैठने लगे। दोस्तों के साथ घूमने जाते थे तो शराब पी कर आते थे। नशा मुक्ति केंद्र में देखा की किस तरह से वह अपनी जिंदगी की साथ खेल रहे थे। केंद्र में वह रोज सुबह छह बजे उठते थे और धीरे धीरे योग करने से यह आदत छूट गई।

नशा छोड़ने पर संवर गई जिंदगी
नशे की आदत ने जिंदगी से सुख-चैन छीन लिया था। परिवार और दोस्तों से भी दूर कर दिया था लेकिन जब से नशा छोड़ने की ठानी जिन्दगी का ढंग ही बदल गया। विश्व मादक पदार्थ विरोधी दिवस पर लखनऊ शहर के ऐसे ही कुछ लोगों से बात कई गई। अमीनाबाद की बताशे वाली गली में रहने वाले अनिल कुमार पेशे से व्यापारी है। कहते हैं दुकान पर बैठते हुए काफी समय हो गया। सिगरेट और तम्बाकू की लत भी यहीं से लगी। कुछ समय पहले अचानक तबियत खराब हुई और डॉक्टर ने नशे छोड़ने की सलाह दी। इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि नशा कितना नुकसान पहुंचा रहा है। इसके बाद मैंने लैसला किया कि अब कोई नशा नहीं करूंगा।

नशे का असर
सेहत
- इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वाले 1.5 करोड़ लोगों में करीब 18 लाख एचआईवी एड्स के शिकार
- 72 लाख नशाखोरों को लगा हेपाटाइटिस-सी का संक्रमण, लिवर खराब होने से मौत का होता है खतरा
- 10 से 24 लाख लोगों की जान गई ड्रग्स की लत से 2011 में, इनमें से ज्यादातर 26 से 44 साल के
(आंकड़े यूएनओडीसी की रिपोर्ट पर आधारित)

आतंकियों की फंडिंग
- 7 से 10 करोड़ डॉलर (करीब 420 से 600 करोड़ रुपये) अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी जुटा रहे ड्रग्स की तस्करी से
- हथियार और विस्फोटक खरीदने, आतंकी हमले की साजिश रचने व उन्हें अंजाम देने तथा कारिंदों के प्रशिक्षण में करते हैं इस्तेमाल
(नोट : आंकड़े अफगानिस्तान के काउंटरनारकोटिक मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित)

समाज
- ड्रग्स लेने पर मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के बीच संदेशों का आदान-प्रदान प्रभावित होता है, जिससे व्यक्ति अक्सर भ्रम में रहता है।
- सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता खो देता है, ड्रग्स की तलब शांत करने के लिए हिंसा और चोरी-डकैती से भी नहीं चूकता।

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