हर तीसरे को मधुमेह का खतरा
डायबिटीज की बीमारी महामारी की तरह फैल रही है। मौजूदा समय में दुनिया का हर तीसरा वयस्क ‘प्री-डायबिटीज’ अवस्था से गुजर रहा है। यानी उसके ब्लड शुगर का स्तर 6 से 6.4 फीसदी के बीच है। 6.5...
डायबिटीज की बीमारी महामारी की तरह फैल रही है। मौजूदा समय में दुनिया का हर तीसरा वयस्क ‘प्री-डायबिटीज’ अवस्था से गुजर रहा है।
यानी उसके ब्लड शुगर का स्तर 6 से 6.4 फीसदी के बीच है। 6.5 फीसदी का आंकड़ा छूते ही वह डायबिटीज के मरीजों की श्रेणी में आ जाएगा। ‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल’ में सोमवार को प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट कुछ ऐसे ही डरावनी तस्वीर पेश करती है।
दो तरह के डायबिटीज
डायबिटीज दो तरह की होती है। पहला, टाइप-1 डायबिटीज, जिसमें अग्नाशय अमूमन जन्म से ही इनसुलिन के उत्पादन में अक्षम होता है। दूसरा, टाइप-2 डायबिटीज, जिसमें अग्नाशय इनसुलिन तो पैदा करता है, पर शरीर की कोशिकाएं उसका इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।
क्यों जरूरी है इनसुलिन
खून में मौजूद ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने के लिए इनसुलिन हार्मोन काफी अहम माना जाता है। कोशिकाएं ग्लूकोज को ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल करती हैं। जब वे इसमें असमर्थ हो जाती हैं तो ग्लूकोज खून में इकट्ठा होता जाता है और शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
समय रहते संभल जाएं
खानपान में बदलाव और नियमित व्यायाम के जरिए ‘प्री-डायबिटीज’ अवस्था को पलटा जा सकता है। इसलिए मीठे, फास्टफूड, कोल्ड ड्रिंक और उच्च वसायुक्त आहार के सेवन पर लगाम लगाइए और डाइट में इन चीजों को शामिल कीजिए।
1. हरी सब्जियां : पालक, पत्तागोभी, करेला में मैग्नीशियम की मात्रा होती है जिसके प्रयोग से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा घटता है।
2. बादाम : बादाम में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड लंबे समय तक भूख का अहसास नहीं होने देते।
3. दही : दुग्ध उत्पादों में मौजूद कैल्शियम को इनसुलिन के उत्पादन में मददगार पाया गया है।
4. समूचा अनाज : गेहूं, चना, जौ में शुगर घटाने वाले आइसोफ्लेवन पाए जाते हैं।