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सरकार चीनी मिलों को और अधिक ब्याज-मुक्त ऋण देगी

सरकार ने नकदी संकट से जूझ रहे चीनी मिल उद्योग को और 4,400 करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त ऋण सुलभ कराएगी, ताकि मिले गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान कर सकें। चीनी मिलों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने चीनी...

सरकार चीनी मिलों को और अधिक ब्याज-मुक्त ऋण देगी
एजेंसीMon, 23 Jun 2014 03:33 PM
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सरकार ने नकदी संकट से जूझ रहे चीनी मिल उद्योग को और 4,400 करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त ऋण सुलभ कराएगी, ताकि मिले गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान कर सकें। चीनी मिलों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने चीनी पर आया शुल्क भी 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है तथा चीनी के लिए 3,300 रुपए प्रति टन की निर्यात सब्सिडी की अवधि बढ़ाकर सितंबर तक कर दी है।
   
सरकार यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास करेगी कि पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की पक्की व्यवस्था हो सके। ये फैसले प्रधानमंत्री के निर्देश पर खाद्य मंत्री राम विलास पासवान द्वारा बुलाई गई उच्च-स्तरीय बैठक में किए गए। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नपेंद्र मिश्र और मंत्रिमंडल सचिव अजित सेठ भी इस बैठक में मौजूद थे।
   
बैठक के बाद पासवान ने कहा हमने चार प्रमुख फैसले किए। हमने चीनी मिलों को उनके द्वारा चुकाये जाने वाले उत्पाद शुल्क के विरूद्ध तीन साल की बजाय पांच साल के लिए ब्याज-मुक्त ऋण देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि चीनी मिले अब बैंकों से कुल 4,400 करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त ब्याज मुक्त ऋण प्राप्त कर सकेंगी।
  
पासवान नक कि इससे मिलों के पास नकदी का प्रवास सुधरेगा और उन्हें किसानों के बकाए का भुगतान करने में आसानी होगी। पासवान ने कहा कि विभाग को अभी उद्योग को प्रदान किए जाने वाले सही-सही ब्याज-मुक्त ऋण का आकलन करना है।
   
दिसंबर में केंद्र ने 6,600 करोड़ रुपए का ब्याज-मुक्त ऋण मंजूर किया था। उस समय सरकार ने कहा था कि वह मिलों को बैंकों से उनके द्वारा पिछले तीन साल में चुकाये गए उत्पाद शुल्क के बराबर ब्याज मुक्त कर्ज सुलभ करवाएगी।
   
पासवान ने संवाददाताओं से कहा इन फैसलों की घोषणा इस पर शर्त पर निर्भर करती है कि मिल इस बात की गारंटी दें कि वे किसानों को जल्द से जल्द 11,000 करोड़ रुपए के गन्ने के बकाए का भुगतान करेंगी। उन्होंने कहा यदि मिल-मालिक भुगतान करने के लिए तैयार हैं तो हमें इसकी औपचारिक घोषणा करने में कोई दिक्कत नहीं है। यदि वे आज हमें आश्वासन दें तो हम इसकी घोषणा आज ही कर देंगे।
   
उन्होंने कहा कि कुछ फैसलों की अधिसूचना संबद्ध मंत्रालय करेंगे जबकि कुछ के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरूरत है। इस बैठक में पासवान के अलावा परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र समेत कई अन्य शामिल थे।
   
पासवान ने कहा ब्याज-मुक्त ऋण के अलावा हमने चीनी आयात शुल्क को बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का फैसला किया है, जो फिलहाल 15 प्रतिशत है और 3,300 रुपए प्रति टन के चीनी निर्यात प्रोत्साहन की अवधि बढ़ाकर सितंबर 2014 कर दी गई है।

पासवान ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का आश्वासन दिया है। फिलहाल 2 प्रतिशत एथनॉल भी नहीं मिलाया जाता। गन्ना बकाए पर चिंता जाहिर करते हुए पासवान ने कहा केंद्र गन्ने की कीमत तय करता है लेकिन कुछ राज्य अपेक्षाकत उंची कीमत तय कर रहे हैं जिससे मिलों पर दबाव पड़ रहा है। मूल्य निर्धारण के संबंध में विचारों की समग्रता होनी चाहिए।
  
चीनी उद्योग पिछले कुछ साल से लागत बढ़ने और बिक्री मूल्य में कमी के कारण नकदी संकट से जूझ रहा है। फिलहाल देश भर में गन्ने के लिए 11,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना है और सबसे अधिक 7,200 करोड़ रुपए का भुगतान उत्तर प्रदेश में किया जाना है। यह भी आंशका है कि यदि सस्ते आयात पर नियंत्रण नहीं लगाया जा सका तो घरेलू कीमत और घटेंगी।

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