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सिर्फ सरकार नहीं दोषी

देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं, शासन-प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्रदेशों की कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। लेकिन सड़कों पर खुलेआम इस प्रकार के दृश्य...

सिर्फ सरकार नहीं दोषी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Jun 2014 11:04 PM
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देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं, शासन-प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्रदेशों की कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। लेकिन सड़कों पर खुलेआम इस प्रकार के दृश्य देखे जा सकते हैं, जिसमें युवा जोड़े अपना चेहरा छिपाकर या अपने परिजनों की नजरों से दूर हो पार्को में और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर बेहयाई का प्रदर्शन करते हैं। कसूरवार कौन है? सभी जानते हैं, मगर मानता कोई नहीं। मोबाइल के प्रचलन ने भी लोगों की मानसिकता को गंदा किया है, क्योंकि अब इंटरनेट के जरिये उस पर हर तरह के अश्लील साहित्य उपलब्ध हैं। ऐसे में, कोई सरकार क्या करे? समाज को गंदा और विकृत करने वाले तत्वों के खिलाफ यदि कोई कार्रवाई की जाती है, तो मानवाधिकार के हिमायती उनके समर्थन में उठ खड़े होते हैं। ऐसे में, बलात्कार और दूसरे यौन अपराधों पर अंकुश लगे भी तो कैसे?
सुधाकर आशावादी, शास्त्री भवन, ब्रह्मपुरी, मेरठ

कम नहीं हुई महंगाई
इस बेकाबू महंगाई में कुछ दिनों पहले मीडिया में आया कि मोदी सरकार पांच लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट देने वाली है। यह खबर देखते-सुनते ही सभी के चेहरे खिल उठे। फिर दो दिन बाद आया कि यह सीमा सिर्फ तीन लाख तक ही हो सकेगी। इस पर खुशी तो गायब हुई, मगर थोड़ा-सा संतोष चेहरों पर टिका रहा। लेकिन अब जब यह सुनने में आ रहा है कि आयकर छूट की सीमा वही पुरानी ही रहेगी, तो सभी के चेहरे लटक गए हैं। दुर्भाग्य देखिए कि अब सब्जियों आदि के दाम फिर से आसमान की ओर जाने लगे हैं। लोगों का मानना है कि यह सब मीडिया, मुनाफाखोरों और जमाखोरों की ही देन है। लगने लगा है कि बढ़ते दामों पर मोदी सरकार भी शायद मुश्किल से ही काबू कर पाए, क्योंकि पूंजीवादी व्यवस्था में उपभोक्तावाद और बाजारवाद अपने चरम पर होता ही है। इसलिए लगता है कि महंगाई और बेरोजगारी की चक्की में जनता यूं ही पिसती रहेगी। अकेले बेचारे नरेंद्र मोदी भी क्या कर सकते हैं? उनके पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं। इन सभी समस्याओं के लिए तो उन्हें बहुत सख्ती से फैसले करने होंगे। लेकिन क्या लोग इसके लिए तैयार हैं?
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली

भूटान से अपेक्षा
भूटान एक शांतिप्रिय देश है। सार्क देशों से रिश्ते सुधारने और बहुपक्षीय संबंध के साथ व्यापार मजबूत करने की प्रासंगिकता पिछले 10 साल में यूपीए सरकार की उदासीनता और विदेश नीति के प्रति लचर रवैये के चलते बढ़ गई है। दुनिया जानती है कि चीन की विस्तारवादी नीति और ड्रैगन की घुड़की के आगे अब भारत चुप नहीं रहेगा। पिछले कुछ समय से चीन भूटान को कई तरह के प्रलोभन देकर उसका हितैषी बनने की कोशिश कर रहा है और यह स्थिति किसी भी सूरत में हमारे लिए दुखदायी ही रहेगी। अमेरिका के बाद चीन और पाकिस्तान भी समय-समय पर दूसरे देश की सीमाओं में अतिक्रमण करने के लिए मौके तलाशते हैं। ऐसे में, अगर भूटान अपनी धरती से भारत की ओर आ रहे किसी खतरे का पुरजोर विरोध करेगा, तो इससे न सिर्फ हमारी सीमाओं के सुरक्षित रहने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी और हमें खतरे का सटीक पूर्वानुमान मिल सकेगा।
श्वेतांक रत्नांबर, सेक्टर-56, नोएडा

राजनीति सीखें केजरीवाल
अति किसी भी चीज में बुरी होती है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को अब तक यह बात समझ में आ गई होगी। केजरीवाल साहब ने अपनी राजनीति में अतिवाद को ही बढ़ावा दिया। आज स्थिति यह है कि वह और उनकी पार्टी न घर के हैं और न घाट के। बेहतर होगा कि वे बीजेपी को सरकार बनाने दें और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएं और लोगों का भरोसा फिर से हासिल करें।
आधार शर्मा, गुरु रामदास नगर, दिल्ली-92

 

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