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केदारघाटी में मिले 17 मानव कंकाल

केदारनाथ मार्ग पर जंगलचट्टी और चीड़बासा मंदिर के आसपास की पहाड़ियों से पुलिस को 17 मानव कंकाल मिले हैं। यह कंकाल पिछले साल 16-17 जून को केदारघाटी में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान जान बचाने के लिए...

 केदारघाटी में मिले 17 मानव कंकाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 13 Jun 2014 11:00 PM
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केदारनाथ मार्ग पर जंगलचट्टी और चीड़बासा मंदिर के आसपास की पहाड़ियों से पुलिस को 17 मानव कंकाल मिले हैं। यह कंकाल पिछले साल 16-17 जून को केदारघाटी में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान जान बचाने के लिए चोटियों की तरफ भागे यात्राियों के बताए जा रहे हैं। रुद्रप्रयाग पुलिस ने शुक्रवार को डीएनए सैम्पल लेकर पांच कंकालों का अंतिम संस्कार कर दिया। 12 कंकाल शनिवार को निकाले जाएंगे।


रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक वरिंदर जीत सिंह ने बताया कि कुछ लोगों ने एक व्यक्ति के केदारनाथ मार्ग पर देखे जाने की जानकारी पुलिस को दी थी। पूछताछ में उस व्यक्ति ने अपना नाम लुधियाना निवासी संदीप बताया। संदीप ने बताया कि वह अपने बेटे के साथ पिछले साल केदारनाथ आया था। आपदा के दौरान उसका बेटा बिछुड़ गया। तब से वह बेटे की खोज में यहां कई बार आ चुका है। एसपी ने बताया कि संदीप ने पुलिस को जंगलचट्टी में कंकाल दिखने की बात बताई। इसके बाद सीओ रुद्रप्रयाग के नेतृत्व में एक टीम जंगलचट्टी भेजी गई। टीम ने जगह-जगह खुदाई करके पांच मानव कंकाल बरामद किए।

पहाड़ियों में मिले 12 कंकाल
जंगलचप्ती के आसपास खोजबीन के बाद रुद्रप्रयाग के सीओ स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली टीम को शुक्रवार शाम केदारनाथ मार्ग पर चीड़बासा मंदिर से करीब सौ-दो सौ मीटर की दूरी पर 12 मानव कंकाल मिले। इनमें से तीन कंकालों में मांस भी बचा है। मौके पर पुलिस को साड़ियां, चूड़ियां, बैग, जूते आदि सामान भी मिला है। सीओ स्वतंत्र कुमार ने बताया अंधेरा हो जाने के कारण शुक्रवार को कंकालों को नहीं निकाला जा सका। शनिवार को सभी कंकाल निकाले जाएंगे।

सामान सुरक्षित रखेंगे
केदारघाटी में सर्च में जुटी टीम का नेतृत्व कर रहे सीओ स्वतंत्र कुमार ने बताया कि कंकालों के पास मिले सामान को सुरक्षित रखा जाएगा। ताकि यात्रियों के परिजन सामान देखकर इनके मारे जाने की पुष्टि कर सके। उन्होंने बताया कि शनिवार को सभी 12 कंकालों का डीएनए सैम्पल सुरक्षित कर अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।

भूख, ठंड और डर से मारे गए यात्री
कंकालों को देखकर साफ प्रतीत होता है कि इन लोगों की मृत्यु केदारघाटी में आए जल प्रलय के कारण नहीं हुई। जल प्रलय के दौरान यह लोग जान बचाने के लिए चोटियों की तरफ भागे। इस दौरान मदद नहीं मिलने के कारण इनकी भूख, ठंड और डर से मृत्यु हुई होगी।


राज्य सरकार ने कभी नहीं कहा कि केदारनाथ मार्ग पर कंकाल नहीं हो सकते हैं। क्षेत्र में शवों की खोज का काम घाटी में अभी भी जारी हैं।
हरीश रावत, मुख्यमंत्री

 आपदा
16-17 जून 2013 को  आई थी आपदा
8000 से अधिक लोग मारे गए और लापता हुए
185 कंकाल पिछले साल पहाड़ियों से हुए बरामद

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