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सतर्कता और चौकसी

एक बार अकबर ने बीरबल को भयभीत करने का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने रूप बदलने का निश्चय किया। अपना रूप बदलने के लिए बादशाह ने एक बहुरूपिए की मदद ली। बहुरूपिए ने बादशाह को एक खूंखार व्यक्ति का रूप दिया।...

सतर्कता और चौकसी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 10 Jun 2014 10:49 PM
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एक बार अकबर ने बीरबल को भयभीत करने का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने रूप बदलने का निश्चय किया। अपना रूप बदलने के लिए बादशाह ने एक बहुरूपिए की मदद ली। बहुरूपिए ने बादशाह को एक खूंखार व्यक्ति का रूप दिया। डाकू बने बादशाह का चेहरा अत्यंत वीभत्स और खूंखार लग रहा था। अपने बदले रूप से संतुष्ट होने के बाद वह अंधेरी रात में बीरबल के घर पहुंचे और उनका दरवाजा खटखटाया। उस समय अंधेरी रात थी और तेज हवा चल रही थी। बीरबल ने मशाल लेकर दरवाजा खोला। तेज हवा चलने के कारण बीरबल ने मशाल के दूसरी ओर हाथ से हवा रोकने का प्रयास किया, जिसके कारण द्वार पर दस्तक देने वाले का चेहरा देखने की बजाय उनकी नजर दस्तक देने वाले के जूतों पर गई। कीमती नगीनों और सोने-चांदी के तारों के काम से अंधेरी रात में भी जूतों से कौंध सी उठ रही थी। बीरबल ने अकबर के पांव में बरसों तक यह जूते देखे थे। बीरबल ने एक पल की भी देरी नहीं की और बोले, ‘आइए जहांपनाह।’
यह सुन कर अकबर जैसे आसमान से गिरे। बीरबल अकबर से बोले, ‘महाराज, ऐसा कौन सा शख्स है, जिसके डर से आप को इतना निकृष्ट रूप धारण करना पड़ा।’ इस पर अकबर बोले, ‘बीरबल! तुम्हारे आलोचक भी तुम्हारी तर्कबुद्धि की तारीफ करते हैं। मैंने यह रूप बना कर तुम्हें डराने का प्रयास किया था, लेकिन तुम्हारी तर्कबुद्धि से मेरी वास्तविकता छुपी न रह सकी और तुमने मुझे पहचान लिया। आखिर तुमने मुझे पहचाना कैसे?’

बीरबल हंस कर बोले, ‘जहांपनाह, आप जरा अपने हीरे-जवाहरात के नगीनों से सजे जूतों पर नजर डालें और अपनी उंगलियों में चमचमाती बादशाही अंगूठियों की ओर देखें। क्या अब भी किसी को यह समझने में भूल हो सकती है कि आप कौन हैं? अगर आपको अपना वेश बदलना था तो पूरी तरह से बदलना चाहिए था।’
यह सुन कर अकबर एक पल को झोंप गए और अगले ही पल उन्होंने अपनी एक अंगूठी निकाल कर बीरबल को दी और बोले, ‘सचमुच, बीरबल! अब तक कोई भी ऐसा व्यक्ति मेरी नजरों के सामने नहीं आया, जिसमें तुम्हारी जैसी तीक्ष्ण मेधा हो।’

कहानी बताती है कि कार्यस्थल पर हर समय चौकन्ना रहना चाहिए, जिससे वक्त पड़ने पर अपनी सतर्कता से आने वाली मुसीबत का अंदाजा लगाया जा सके और उसे दूर किया जा सके। अपने विवेक और चातुर्य से किसी भी व्यक्ति को परास्त किया जा सकता है।

 

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