बासगीत पर्चा दिलाने के लिए राजस्व शिविर लगे
भारत सरकार के पूर्व सचिव केबी सक्सेना ने कहा है कि दुर्भाग्य है कि बिहार में गरीबों को जमीन का हक दिलाने का प्रगतिशील कानून सबसे पहले बना पर इसका अनुपालन सबसे कम हुआ। यहां सरकारी दफ्तरों में संचिकाएं...
भारत सरकार के पूर्व सचिव केबी सक्सेना ने कहा है कि दुर्भाग्य है कि बिहार में गरीबों को जमीन का हक दिलाने का प्रगतिशील कानून सबसे पहले बना पर इसका अनुपालन सबसे कम हुआ। यहां सरकारी दफ्तरों में संचिकाएं दर्जनों जगहों से गुजरती हैं। इस प्रक्रिया को सरल करना होगा। प्रखंड व पंचायत द्वारा गांवों में बासगीत पर्चा दिलाने के लिए राजस्व शिविर लगाने चाहिए। यह आकलन होना चाहिए कि गांव में कितने लोगों को पर्चा व परवाना देना है।ड्ढr ड्ढr श्री सक्सेना शनिवार को देशकाल सोसाइटी व एफईएस द्वारा ग्राम निर्माण केन्द्र,लोकशक्त शिक्षा संगठन व सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट सेंटर के सहयोग से आयोजित ‘बासगीत जमीन पर मालिकाना हक दिलाने के लिए नीति’ विषयक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मेम्बर बोर्ड ऑफ रवेन्यू केडी सिन्हा ने भी बासगीत जमीन पर पर्चा देने की प्रक्रिया को सरल करने पर जोर दिया। राजस्व पर्षद के सदस्य चंद्रगुप्त अशोकवर्धन ने कहा कि सरकार की संवेदनशीलता पर ध्यान देने की जगह समुदाय को संवर्धित करने पर जोर देना होगा। हम एक अति प्रतिक्रियावादी व्यवस्था में रहते हैं। भूमि सुधार कानून को लागू करने की बात होते ही विरोध शुरू हो जाता है। भूमिहीनों को जमीन दिलाने व दलित टोले से लिंक पथ बनाने के मामले में गत वित्तीय वर्ष तक महज दस फीसदी राशि ही खर्च हो सकी थी। जनता दरबार में आने वाले बेदखली के मामले यक्षप्रश्न बने हुए हैं।ड्ढr ड्ढr समाजशास्त्री डा. सच्चिदानन्द ने कहा कि गांवों में कैम्प कर लाभान्वितों के बीच पर्चा देना चाहिए। इसमें पंचायतों को भी भागीदार बनाना होगा। लाभार्थियों को भी जागरूक करना होगा साथ ही अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी जाए। देशकाल के सचिव संजय कुमार ने कहा कि बिहार में लगभग सात लाख परिवारों को यह अधिकार नहीं मिल पाया है। वरीय आईएएस अधिकारी ब्यासजी, प्रवीण सिन्हा, सत्यनारायण मदन, वसी अहमद आदि ने भी विचार रखे।