जापान की सक्रियता
जापान एशिया में अति सक्रिय भूमिका चाहता है। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की योजना को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। शिंजो अबे एशिया में शांतिपूर्ण और लचीली क्षेत्रीय व्यवस्था के हिमायती हैं। बीते...
जापान एशिया में अति सक्रिय भूमिका चाहता है। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की योजना को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। शिंजो अबे एशिया में शांतिपूर्ण और लचीली क्षेत्रीय व्यवस्था के हिमायती हैं। बीते दिनों सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग समिट के दौरान अपने भाषण में अबे ने टोकियो के दृष्टिकोण को सामने रखा और ‘समुद्र-आकाश में सुरक्षा बंदोबस्त’ में जापानी मदद का प्रस्ताव पेश किया। ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत के मद्देनजर उन्होंने यह कदम उठाया। शांगरी-ला डायलॉग एक सुरक्षा फोरम है, जिसमें शामिल होने कई देशों के रक्षा-प्रमुख आए हुए थे। अबे ने कहा कि जापान व अमेरिका दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, राष्ट्र संघ व ऑस्ट्रेलिया के साथ सुरक्षा सहयोग के लिए तैयार हैं। तनाव की ताजा घटनाओं पर वियतनाम ने चीन को कोसा और कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन के जंगी जहाजों ने उसके युद्धपोतों को निशाना बनाया। पूर्वी चीन सागर में छोटे द्वीप-समूहों को लेकर चीन का जापान के साथ भी मतभेद है। टोकियो जिनको सेनकाकू और ताईपेई द्वीप कहता है, बीजिंग उनको क्रमश: तिआयूताई और दियागो बताता है। 25 मई को जापान ने उसके इलाके में चीन द्वारा ‘खतरनाक युद्धाभ्यास’ का आरोप लगाया था। तब चीन का एक लड़ाकू विमान जापानी सैन्य विमान के करीब से गुजरा था। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में विदेश मामलों की समिति के प्रमुख फू यिंग ने अबे के तमाम आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि जापान विवादों का इस्तेमाल अपनी सुरक्षा नीतियों को लागू करने में कर रहा है, जो ‘इस क्षेत्र, विशेषकर चीन के लिए चिंता की बात है।’ दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, जो वास्तव में इससे आगे की कार्रवाई है। यह सही है कि अंकल सैम के प्रोत्साहन से अबे सामूहिक आत्मरक्षा के अधिकार के इस्तेमाल की योजना बना रहे हैं। इस योजना के तहत अगर जापान पर हमला नहीं हुआ, तब भी वह इस क्षेत्र में अमेरिका की मदद से रक्षा के लिए आगे आएगा। जापान के अमन पसंद संविधान की पुनव्र्याख्या की यहां जरूरत पड़ेगी। वहीं, चीन अपने कदम को नजरअंदाज कर जापान के कदम को नकारात्मक बता रहा है।
द चाईना पोस्ट, ताईवान