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घर की साज-सज्जा में वास्तु उपायों का ख्याल

वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार बनाए गए आवासीय घर हों या व्यापारिक प्रतिष्ठान सभी सकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत माने गए हैं। मनुष्य का जीवन अच्छी और बुरी सोच के आधार पर चलता रहता है। कर्मशील होने के...

घर की साज-सज्जा में वास्तु उपायों का ख्याल
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 06 Jun 2014 01:57 PM
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वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार बनाए गए आवासीय घर हों या व्यापारिक प्रतिष्ठान सभी सकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत माने गए हैं। मनुष्य का जीवन अच्छी और बुरी सोच के आधार पर चलता रहता है। कर्मशील होने के साथ हमारी सोच सकारात्मक हो, तभी जीवन में सफलता मिलती है। सकारात्मक सोच की उत्पत्ति हमारे आवास अथवा व्यावसायिक स्थल पर मौजूद सकारात्मक ऊर्जा पर निर्भर करती है, इसलिए सकारात्मक ऊर्जा को बुलाने के लिए किसी अनुभवी वास्तुशास्त्री की सलाह के अनुसार अपने घर और बिजनेस स्थल को ऊर्जावान अवश्य बनाना चाहिए।

हमें बेडरूम, रसोई, वॉशरूम, बच्चों के कमरे तक ही वास्तु को सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि घर की अलग-अलग जगहों पर की गई साज-सज्जा का भी पूरा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। हमें देखना चाहिए कि कहीं घर की साज-सज्जा के दोष के कारण सही स्थान पर बनी रसोई व कमरे सकारात्मक ऊर्जा देने में असमर्थ तो नहीं हैं।

हमें साज-सज्जा के रूप में हिंसक पशुओं की तस्वीरें या पेंटिंग्स घर में नहीं लगानी चाहिए। इसके विपरीत हम वास्तुशास्त्र के अनुरूप जीवन शक्ति के प्रतीक दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर या पेंटिंग, शक्ति के प्रतीक हाथी की तस्वीर व समृद्धि, शांति और स्नेह की प्रतीक गाय की पेंटिंग, तस्वीर अथवा धातुओं से बनी इन पशुओं की मूर्ति घर में लगा कर अपने आवास का वास्तु सुधार सकते हैं।

हमें घर की आंतरिक साज-सज्जा के नाम पर सूखी नदियों, तालाबों या झीलों के चित्र नहीं लगाने चाहिए। इसके विपरीत हमें वास्तुशास्त्री के दिशानिर्देशानुसार सही स्थान पर बहते हुए झरने, प्रवाहमान नदियां या डॉल्फिन के साथ समुद्र के चित्र वाली पेंटिंग या पोस्टर लगाने से धन के आगमन में भी प्रभाव पड़ता है। मास्टर बेडरूम में पूजा का स्थान या पूर्वजों के चित्र लगाने से भी वास्तु दोष उत्पन्न होता है। इसके विपरीत दो हंसों या दो लव बर्डस की तस्वीर ही मास्टर बेडरूम में लगानी चाहिए। घर के प्रवेशद्वार पर तड़क-भड़क वाली पेंटिंग न लगा कर शुभ प्रतीक चिन्ह जैसे स्वास्तिक, ओउम, कलश, घंटी, शंख, शांत मुद्रा में बैठे गणेशजी लगाना सर्वोत्तम रहता है।

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