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आधा दर्जन मंत्री गन्ना किसानों की समस्या सुलझाएंगे

उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र सहित दूसरे अन्य राज्यों में गन्ना किसानों की समस्या का समाधान तलाशने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने विभिन्न विभागों के करीब आधा दर्जन मंत्रियों से...

आधा दर्जन मंत्री गन्ना किसानों की समस्या सुलझाएंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 02 Jun 2014 12:49 PM
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उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र सहित दूसरे अन्य राज्यों में गन्ना किसानों की समस्या का समाधान तलाशने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने विभिन्न विभागों के करीब आधा दर्जन मंत्रियों से विचार विमर्श का फैसला किया है। इसी बुधवार को पासवान सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा कर गन्ना किसानों व चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए रास्ता सुझा सकते हैं।

पासवान ने हिन्दुस्तान से अनौपचारिक बातचीत में खुलासा किया कि बैठक में महाराष्ट्र से नितिन गडकरी (सड़क परिवहन मंत्री), गोपीनाथ मुंडे (ग्रामीण विकास मंत्री) के अलावा बिहार से राधामोहन सिंह (कृषि मंत्री) व उत्तर प्रदेश से वरिष्ठ मंत्री कलराज मिश्रा (लघु व मध्यम उद्योग मंत्री), मेनका गांधी (महिला व बाल विकास) तथा संजीव बालयान (कृषि राज्यमंत्री) को आमंत्रित किया गया है। बैठक में मुख्यत: इस बात पर चर्चा होनी है कि चीनी उद्योग को किस तरह संकट से उबारा जाए जिससे करीब पांच करोड़ गन्ना किसानों को राहत मिल सके। पीलीभीत से सांसद मेनका गांधी को बैठक में विशेष तौर पर बुलाया गया है ताकि वह किसानों की समस्या पर रोशनी डाल सकें।

खाद्य एवं नागरिक वितरण मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार, मंत्रालय का प्रभार लेने के बाद पासवान ने गन्ना किसानों की समस्या पर विभाग से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। इसका अध्ययन करने के बाद उन्होंने इस समस्या से जुड़े अन्य मंत्रालयों को भी इस मसले का समाधान निकालने की प्रक्रिया में भागीदार बनाने का फैसला किया है। गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 12 हजार करोड़ रुपया बकाया है। पिछले अक्टूबर में शुरू हुआ पेराई सीजन लगभग समाप्त हो चुका है लेकिन चीनी मिलें किसानों का बकाया चुकाने में असमर्थ हैं। कथित तौर पर घाटे में चल रही चीनी मिलें किसानों का बकाया चुकाने के लिए केंद्र से विशेष पैकेज की मांग कर रही हैं।

गन्ना किसानों की समस्या के अलावा मंत्रालय में पासवान की प्राथमिकता खाद्य वितरण प्रणाली में सुधार की भी है। खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए कई योजनाओं का आपस में घालमेल हो रहा है। दूसरा बड़ा मसला इन योजनाओं के लिए केंद्र की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का है। पासवान का मानना है कि योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए और जरूरतमंदों को उसका लाभ सुनिश्चित करने के लिए इनकी समीक्षा किया जाना जरूरी है।

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