बरेली हादसा: पेट की आग बुझाने बच्चे भी जा रहे थे दिल्ली
दो वक्त की रोटी कमाने के लिए बहराइच से मजदूर प्राइवेट बस से दिल्ली रवाना हुए थे। दिल में बेहतर जिंदगी के सपने थे। अच्छी कमाई की तमन्ना में मजदूर बस में अकेले नहीं बल्कि उनकी पूरी गृहस्थी सवार थी।...
दो वक्त की रोटी कमाने के लिए बहराइच से मजदूर प्राइवेट बस से दिल्ली रवाना हुए थे। दिल में बेहतर जिंदगी के सपने थे। अच्छी कमाई की तमन्ना में मजदूर बस में अकेले नहीं बल्कि उनकी पूरी गृहस्थी सवार थी। वक्त ने ऐसी करवट ली, जिसमें सब खत्म हो गया। पेट की भूख शांत होने से पहले ही कई लोगों की सांसें थम गईं। बस हादसे में किसी ने बेटा गंवाया तो किसी ने घर का मुखिया खो दिया। कोलाहल और चीत्कार से घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई।
बुधवार सुबह करीब पांच बजे बड़ी संख्या में घायलों को जिला अस्पताल में लाया गया। जैसे-जैसे घायलों को होश आया। उन्होंने रो-रोकर हादसे की कहानी सुनाई। घायल बोले- जल्दी इलाज मिल जाता तो कई और लोगों की जान बच सकती थी। गंभीर रूप से घायल केसरगंज क्षेत्र के गांव निन्दीपुर के वशीर हैदर (45) दुर्घटना के बारे बताते-बताते फफक पड़े। बोले- मैं और बड़े भाई हैदर अली दिल्ली में गन्ने के जूस का ठेला लगाते हैं। दिल्ली में झुग्गी डालकर किसी तरह गुजारा करते हैं। इस बार काम बढ़ाने के लिए चचेरे भाई मुनीर, भतीजे आरिफ और बेटे अशद को दिल्ली ले जा रहे थे। रात में बस ऐसी पलटी हमारा सब खत्म हो गया। बेटा अशद और भतीजे आरिफ की मौके पर ही मौत हो गई। कुछ देर बाद मुनीर भी चल बसा।
वशीर ने बताया कि बड़े भाई हैदर अली भी बुरी तरह घायल हैं। मुङो भी गहरी चोटें आई हैं। ऐसी ही कहानी केसरगंज इलाके के गांव प्यारेपुर के तज्जन (35) की भी है। तज्जन पत्नी रुबिया और चार बच्चों के साथ केसरगंज से बस में सवार हुआ था। हादसे में पूरा परिवार बुरी तरह घायल हुआ है। जिला अस्पताल में भर्ती तज्जन ने बताया कि मुङो बेटे समीर (8) और तंजीम (5) के साथ जिला अस्पताल ले आया। पत्नी के साथ मेरा बड़ा बेटा साबिर (12) और बेटी सनम (3) वहीं रह गए। अभी तक उनका मुङो कोई पता नहीं चला।
प्यारेपुर के तसीम बताते हैं मैं पत्नी तरन्नुम और तीन बच्चों के साथ दिल्ली जा रहा था। दिल्ली में गन्ने के जूस का ठेला लगाता हूं। कु छ दिन का राशन लेकर हम दिल्ली जा रहे थे। एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हुए हैं। बस के नीचे दब गए। प्यारेपुर के दो भाई सैफ (11) और साजिद (18) भी मजदूरी करने दिल्ली जा रहे थे। हादसे में दोनों भाई घायल हो गए। ऐसी कहानी तमाम घायल मजदूरों की है।