राजरंग
फिर प्रकट भये नेताजी नेताजी फिर राजधानी में प्रकट हो गये। छोटे कद के श्यामवर्ण नेताजी बिहार में मंत्री थे, अभी लालटेन छाप कंपनी के झारखंड स्टेट इंचार्ज हैं। महीने-दो महीने में आ ही जाते हैं अपने...
फिर प्रकट भये नेताजी नेताजी फिर राजधानी में प्रकट हो गये। छोटे कद के श्यामवर्ण नेताजी बिहार में मंत्री थे, अभी लालटेन छाप कंपनी के झारखंड स्टेट इंचार्ज हैं। महीने-दो महीने में आ ही जाते हैं अपने वर्करों का हालचाल लेने। बॉस ने संगठन की जिम्मेवारी जो सौंप रखी है। नहीं आयेंगे, तो वर्कर उदास-हताश नहीं हो जायेंगे। सो सब काम-धाम छोड़कर पहुंच जाते हैं। वैसे नेताजी के बॉस चौबीस घंटा पहले ही रांची छोड़े हैं। सरकार के साथ-साथ संगठन का भी मिजाज नाप-ाोखकर गये हैं। इसलिए नेताजी के पास करने को फिलहाल कुछ बचा नहीं है। लेकिन उनके चंद समर्थक एसा नहीं मानते हैं। नेताजी सिर्फ पोलिटिकल ही नहीं सोशल आदमी भी हैं। सोसाइटी के बार में भी खूबे सोचते हैं। उनके पास काम-धाम की कमी नहीं है। सो चलते समय लिस्ट लेकर चलते हैं। अब अपनी सरकार है तो कुछ काम भी होबे करगा। गरीब-गुरबों की सरकार कुछ जरुरतमंदों के काम आ जाये, इससे बड़ी और क्या बात होगी। मुखिया जी के पास वो जायेंगे। हंसेंगे, बोलेंगे, बतियायेंगे और धीर से लिस्टवा भी उनको थमा देंगे। नेताजी अब आ गये हैं तो संगठन-सरकार सबका हालचाल लेकर ही लौटेंगे। जाते-ााते नेताजी इ बयानवा भी जरूर देइये देंगे- सरकार अच्छा काम कर रही है। कोई संकट नहीं . . आउर का . .।