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किताब का दावा, नियुक्ति व नीतियों में था सोनिया का दखल

प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार और एक शीर्ष अधिकारी के बाद अब योजना आयोग के सदस्य अरुण मायरा की नई किताब में कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में सभी नियुक्तियों व नीतियों...

किताब का दावा, नियुक्ति व नीतियों में था सोनिया का दखल
एजेंसीTue, 13 May 2014 09:29 PM
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प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार और एक शीर्ष अधिकारी के बाद अब योजना आयोग के सदस्य अरुण मायरा की नई किताब में कहा गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में सभी नियुक्तियों व नीतियों में सोनिया गांधी का दखल रहता था।
     
मायरा की पुस्तक 'रीडिजाइनिंग द प्लेन हवाइल फ्लाइंग रिफार्मिग इंस्टिट्यूशनस' में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने 2004 के चुनाव में शानदार जीत के बाद खुद प्रधानमंत्री नहीं बन कर अपने वफादार टेक्नोक्रैट डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री का पद दे दिया। पर सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियों व नीतियों में सोनिया का दखल रहता था।
     
उन्होंने आगे पुस्तक में लिखा है कि अब उनके पुत्र राहुल गांधी को वंशवादी परंपरा का काम व कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व प्रदान करने के लिए आगे किया गया है। दुर्भाग्य की बात यह है कि कई अन्य राजनीतिक दलों ने भी अब इसी तरह की निरंकुश और वंशवादी ढांचा अपना लिया है।
     
मायरा ने इस बात पर क्षोभ जताया कि आजादी के 60 साल बाद भी देश का कामकाज के संचालन का ढांचे में ब्रिटिश सरकार के तत्व मौजूद हैं। पुस्तक के विमोचन के बाद यहां एक समारोह में पत्रकारों से बातचीत में मायरा ने इस बात को स्वीकार किया कि देश में नीतिगत मोर्चे पर खामी की स्थिति है। यह स्थिति निवेशकों, उद्योगपतियों व नागरिकों सभी के लिए चिंता का विषय है।

पिछले माह बाजार में आयी संजय बारू की किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइममिनिस्टर' में कहा गया है प्रधानमंत्री सिंह की भूमिका संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के राग में राग मिलाने की थी। इस किताब में दावा किया गया था कि कैबिनेट व प्रधानमंत्री कार्यालय में महत्वपूर्ण नियुक्तियों का फैसला सोनिया गांधी करती थीं। कांग्रेस पार्टी ने बारू की किताब को सस्ता उपन्यास बताते हुए उसमें किए गए दावों को खारिज किया है।
     
वहीं पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख ने अपनी पुस्तक 'क्रुसेडर ऑर कांस्पिरेटर: कोलगेट एंड अदर ट्रुथस' में दावा किया है कि सिंह (मनमोहन) ऐसी सरकार की अगुवाई कर रहे थे, जिसमें उनकी राजनीतिक हैसियत बहुत कम थी।

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