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मंडी: जीत जिसकी, केंद्र में सरकार उसकी

हिमाचल प्रदेश का मंडी देश का दूसरा सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। यहां की जनता परम्परागत रूप से कांग्रेस के साथ रहती है। यहां से वर्तमान में भी कांग्रेस की ही सांसद प्रतिभा सिंह हैं, जो इस बार भी...

मंडी: जीत जिसकी, केंद्र में सरकार उसकी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 05 May 2014 06:12 AM
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हिमाचल प्रदेश का मंडी देश का दूसरा सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। यहां की जनता परम्परागत रूप से कांग्रेस के साथ रहती है। यहां से वर्तमान में भी कांग्रेस की ही सांसद प्रतिभा सिंह हैं, जो इस बार भी प्रत्याशी हैं। भाजपा की उम्मीद मोदी लहर पर टिकी है। उसने राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व चेयरमैन राम स्वरूप शर्मा को टिकट दिया है, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

देश के दूसरे सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश का मंडी परम्परागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी लहर के दम पर इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने की कोशिश में लगी हुई है। कांग्रेस ने अपनी मौजूदा सांसद और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को ही इस बार भी टिकट दिया है, जबकि भाजपा की ओर से उनका सामना राम स्वरूप शर्मा कर रहे हैं। शर्मा राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व चेयरमैन हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे शर्मा कांग्रेस पर आरोप लगाते हैं कि उनके कई वर्षों के शासन के बाद भी राज्य में बिल्कुल विकास नहीं हुआ है। हालांकि प्रतिभा इस बात को पूरी तरह से नकारती हैं। शर्मा कहते हैं कि पिछले 40 सालों से यहां राजा-महाराजाओं का ही राज किया है, इसके बावजूद राज्य का विकास नहीं हुआ है। राज्य अब तक अंग्रेजों द्वारा विकसित किए ढांचे पर ही जिंदा है। शर्मा आरोप लगाते हैं कि राज्य में रेल नेटवर्क का बिल्कुल काम नहीं हुआ है। कई सालों से बंद गुम्मा नमक की खानें भी फिर से शुरू नहीं की गई हैं। फलों से संबंधित उद्योगों पर भी राज्य में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इन आरोपों के जवाब में प्रतिभा कहती हैं कि कांग्रेस ने राज्य में जो विकास कार्य किए हैं, जनता को वे सब याद हैं। वह कहती हैं कि भाजपा सिर्फ नकारात्मक प्रचार के जरिये वोट लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने विकास के एजेंडे पर हमेशा की तरह इस बार भी मजबूती से कायम है। प्रतिभा के मुताबिक, उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि वे यहां से आसानी से जीत जाएंगी। इतना ही नहीं उनकी मानें तो इस बात जीत का अंतर पिछली बार की तुलना में बहुत अधिक होगा।

वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी, जिसके बाद 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा ने यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि शर्मा का कहना है कि कांग्रेस राज्य में विकास पर ध्यान नहीं दिया जाना कांग्रेस उम्मीदवार पर भारी पड़ने वाला है। उनके मुताबिक यहां राजा और रंक के बीच चुनावी जंग है। चुनाव मैदान में प्रतिभा और राम स्वरूप के अलावा आम आदमी पार्टी के जय चंद ठाकुर और माकपा के कुशाल भारद्वाज भी ताल ठोक रहे हैं। इन सबके बावजूद प्रतिभा सिंह का मानना है कि इस संसदीय क्षेत्र में विपक्षी पार्टियों के पास कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। भ्रष्टाचार यहां बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं है, इसलिए आम आदमी पार्टी के लिए कोई उम्मीद नहीं बंधती।

मंडी के सांसद की ही बनती है केंद्र में सरकार
इतिहास के आईने में अगर झांक कर देखें तो पाएंगे कि इस संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाला सांसद कभी विपक्ष में नहीं बैठता है। 1952 में हुए पहले आम चुनाव में यहां से कांग्रेस ने कपूरथला राजघराने की राजकुमारी अमृत कौर को टिकट दिया। केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी और अमृत कौर को केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। इसी तरह 1957, 1962,1967 और 1971के चुनाव में भी यहां से कांग्रेस के ही प्रत्याशी जीते और केंद्र में कांग्रेस की ही सरकारें बनीं। 1977 में पहली बार यहां से कोई गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीतने में सफल रहा। भारतीय लोकदल के गंगा सिंह कांग्रेस के वीरभद्र सिंह को हरा कर संसद में पहुंचे। इस बार केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी। इस सरकार में भारतीय लोकदल भी शामिल था। इसके बाद 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस के क्रमश: वीरभद्र सिंह और सुखराम जीते। केंद्र में दोनों ही बार कांग्रेस की सरकार आई। 1989 में मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के महेश्वर सिंह जीते और इस बार केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार बनी, जिसे भाजपा का भी समर्थन प्राप्त था। 1991 में एक बार फिर कांग्रेस के सुखराम यहां से जीते और केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। सिर्फ 1996 का ही एक ऐसा मौका रहा, जब यहां से चुना गया सांसद सीधे तौर पर सरकार में नहीं रहा। 1998 और 1999 में यहां से भाजपा के महेश्वर सिंह जीते और दोनों ही बार केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। 2004 में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह जीती तो यूपीए-1 की सरकार बनी और2009 में कांग्रेस के वीरभद्र यहां से जीत कर संसद पहुंचे तो यूपीए-2 की सरकार बनी। देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मिथक इस बार भी बरकरार रहता है।

आसान नहीं यहां चुनाव कराना
मंडी लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कराना आसान नहीं होता। विभिन्न भौगोलिक स्थिति वाला यह क्षेत्र एक ओर जहां मंडी, सुंदर नगर की समतल घाटी में फैला हुआ है, वहीं दूसरी ओर इसका विस्तार तिब्बत की सीमा तक है। चंबा जिले की दुर्गम पांगी घाटी से लेकर स्पिति घाटी और किन्नौर जिले तक इसका विस्तार है। एक दशक पहले तक मंडी लोकसभा सीट के चुनाव को दो चरणों में कराए जाने की परम्परा थी। इस वजह से कई बार ऐसा भी हुआ, जब मंडी लोकसभा के चुनाव परिणाम को कुछ महीने के लिए रोक लिया गया।

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