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सूखती सई को देख सिंचाई विभाग ने दफ्तर ही बंद कर दिया

राोन्द्र सिंह बोले- वोटों के चक्कर मार दी गई सई नदी कल्लन खेड़ा, बनी,फरीदनगर। सई नदी मेंोब तक पानी मिलता रहा तब तक सिंचाई विभाग ने उसका दोहन किया और बाद में अपना दफ्तर हटा लिया। 20 साल पहलेोहाँ...

 सूखती सई को देख सिंचाई विभाग ने दफ्तर ही बंद कर दिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राोन्द्र सिंह बोले- वोटों के चक्कर मार दी गई सई नदी कल्लन खेड़ा, बनी,फरीदनगर। सई नदी मेंोब तक पानी मिलता रहा तब तक सिंचाई विभाग ने उसका दोहन किया और बाद में अपना दफ्तर हटा लिया। 20 साल पहलेोहाँ 15 मीटर ऊपर पानी बहता था वहाँ आा आधा मीटर से कम पानी है। नदी की निगरानी करने के लिए वहाँ राय सरकार का कोई नुमाइंदा नहीं है, लेकिन केन्द्रीयोल आयोग का दफ्तर और चार कर्मचारी वहाँ आा भी मौाूद हैं। ये कर्मचारी सुबह-शाम नदी काोल स्तर नापते हैं और अपनी रिपोर्ट एसडीओ को ो देते हैं। इसके सिवा यहाँ नदी बचाने के लिए कुछ नहीं होता है।ड्ढr सरकारी रिकार्ड के मुताबिक नदी के लगातार गिर रहेोल स्तर के कारण सिंचाई विभाग का दफ्तर 1में बंद कर दिया गया। 20 सितम्बर 1में यहाँ 16.5 मीटर पानी बहता था और 15 मार्च 2008 को पानी सूख गया।ोब 18 अप्रैल को नहरों से पानी छोड़ा गया तो अब वहाँ घुटने से नीचे कहीं-कहीं पानी आया, लेकिन आा यादातरोगहों पर उससे भी कम पानी है।ड्ढr पर्यावरणविद राोन्द्र सिंह कहते हैं कि नदी तो वोटों के चक्कर में सूख गई। दो महीने पहले सई नदी सूखने की खबरोब ‘हिन्दुस्तान’ ने प्रकाशित की तो श्री सिंह ने वादा किया था कि वह इस सिलसिले मेंोून में लखनऊ आएँगे और सई नदी का अध्ययन करंगे। श्री सिंह सोमवार को लखनऊ केोय नारायण डिग्री कालेा के भूगोल के छात्रों को लेकर सई नदी पर पहुँचे। उन्होंने करीब एक र्दान पाटों परोाकर नदी को देखा और गाँव वालों से बात की। बनी मेंोगनायक सिंह चौहान ने 45 साल मे ंनदी की गाथा सुनाई।ड्ढr राोन्द्र सिंह नेोगह-ागह गाँव वालों की बात सुनी। उन्होंनेोो निष्कर्ष निकाला उसके मुताबिक राानीतिक दबाव में बनाए गए माइनरों के चक्कर में यह नदी सूख गई है। उन्होंने नदी की ता स्थिति के लिए राय सरकार को दोषी करार दिया और कहा कि नदी मेंोो पानी छोड़ाोा रहा है, वह कतई पर्याप्त नहीं है। ऐसा लगता है कि नदियों के संरक्षण से सरकार को कोई वास्ता ही नहीं है। उनका आरोप है कि सिंचाई विभाग अधिकारियों ने नदी में पानी छोड़ने की औपचारिकता भर निभाई है। उन्होंने कहा कि इसे बचाने के लिएोन आंदोलन छेड़ने कीोरूरत है। वह सई बचाओ आंदोलन में हर संभव मदद करंगे।ड्ढr श्री सिंह ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री को इस नदी को बचाने के लिए पत्र लिखा है। साथ ही सई स्टडी अकादमी का गठन भी किया है,ोिसका मुखिया प्रो. अंशुमाली शर्मा को बनाया है। श्री शर्मा नदी को बचाने के लिए भूगोलशास्त्र के छात्रों से नदी का अध्ययन कराएँगे। 13ोून को सई बचाने के लिए श्री शर्मा और उनके छात्र एक दिन का उपवास रखेंगे। ड्ढr ऐसा लगा ौसे सई के ऊपर घनघोर बारिश हो रही होड्ढr कल्लन खेड़ा, बनी,फरीदनगर।ोून की तपती दोपहरी में सूखी सई नदी के बीच में खड़े पर्यावरण विशेषज्ञ राोन्द्र सिंह ने स्कूली बच्चों और गाँव वालों को एकत्र करके पानी बरसाया। यहाँ पानी वास्तव में नहीं बरसा, पर लोगों को पूरी तौर से यह एहसास हुआ कि मूसलाधार बारिश हुई और फिर धीमें से पानी बंद हो गया। नदी के बीच में खड़े होकर उन्होंने अपने चारों ओर लोगों को खड़ा किया और कहा किोिसकी ओर वह देखेंगे वह पहले एक अंगुली से ताली बााएगा,ोब दुबारा देखेंगे तो दो उंगली से फिर तीन और उसके बाद चार उंगलियों से ताली बााएगा। सभी ने ऐसा ही किया। वास्तव में ऐसा लगा कि नदी में पहले धीमें फिर तेा मूसलाधार बारिश हो रही है और आखिर में चुपके से पानी बंद हो गया। इतना करके श्री सिंह ने यह समझाया कि नदी को हम सब बचा सकते हैं।ड्ढr

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