मेहमान का करो स्वागत
‘अतिथि देवो भव’। हमारे शास्त्रों में ये बात लिखी गई है, जिसका मतलब होता है अतिथि यानी मेहमान भगवान की तरह होते हैं। इनकी इन्सल्ट, भगवान की इन्सल्ट की तरह होती है। इसलिए तुम बच्चों को...
‘अतिथि देवो भव’। हमारे शास्त्रों में ये बात लिखी गई है, जिसका मतलब होता है अतिथि यानी मेहमान भगवान की तरह होते हैं। इनकी इन्सल्ट, भगवान की इन्सल्ट की तरह होती है। इसलिए तुम बच्चों को मेहमानों के साथ शिष्टाचार के साथ पेश आना चाहिए। अपने से बड़े, बराबर उम्र के दोस्त और छोटों से कैसे मिलना है, इस बात का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इससे तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारे मम्मी-पापा की रिसपेक्ट भी जुड़ी होती है। तो जानो कैसे करना है गेस्ट को वेलकम-
दरवाजा खोलो और मेहमानों का मुस्कराते हुए स्वागत करो। अगर वो तुमसे बड़े हैं तो उन्हें नमस्ते या हेलो बोलकर ग्रीट जरूर करो।
सभी मेहमानों से हाथ मिलाकर भी उन्हें ग्रीट कर सकते हो।
मेहमानों के हाथ से उनका कोट ले लो या वे जो सामान लाए हैं, उसे रखने के लिए सही जगह उन्हें दिखाओ। फिर चाय-पानी के लिए पूछो।
अगर तुम्हारे दादा-दादी आएं हैं तो उनसे गले मिलो या गाल पर प्यार करो। उन्हें अच्छा लगेगा।
अगर वो तुमसे कोई सवाल करें तो आराम से उसका आंसर दो, चिल्लाओ मत और अगर जवाब नहीं देना चाहते हो तो वहां से मुस्कराते हुए हट जाओ। इससे ये लगेगा कि तुम शर्मीले हो और बहुत बात करना तुम्हें अच्छा नहीं लगता।
घर में मेहमानों के रहते हुए अपने छोटे भाई या बहन से मत लड़ों और न ही मम्मी-पापा से किसी चीज के लिए जिद करो।
घर में गंदगी मत फैलाओ और अपनी चीजों को खुद संभालो। इससे मेहमान तुम्हारे बारे में अच्छी राय बनाएंगे। ये दिखाता है कि तुम छोटी उम्र से ही कितने जिम्मेदार हो।