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छोटे से बस्ते में रख दें गुंजाइशों भरा डिब्बा

लखन एक गरीब किसान था। वह पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ पाया था क्योंकि उसके बचपन में आगे पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी। वह पढ़ाई के महत्व को समझता था और उसने सोच लिया था कि अपने बच्चों को खूब पढ़ाएगा। लखन की...

छोटे से बस्ते में रख दें गुंजाइशों भरा डिब्बा
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Apr 2014 06:31 PM
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लखन एक गरीब किसान था। वह पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ पाया था क्योंकि उसके बचपन में आगे पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी। वह पढ़ाई के महत्व को समझता था और उसने सोच लिया था कि अपने बच्चों को खूब पढ़ाएगा। लखन की एक बेटी थी सोना। लखन ने जमींदार से कर्ज लेकर सोना को पढ़ाया। अब सोना सोलह साल की हो गई थी और लखन उसे उच्च शिक्षा के लिए शहर के कॉलेज में दाखिला दिलाना चाहता है, लेकिन उसके पास इतने रुपये नहीं थे। जमींदार से रुपये उधार लेने की सोचने लगा परंतु वह अभी तक पुराना लिया कर्जा चुका नहीं पाया था और ब्याज भी बढ़ रहा था। फिर हिम्मत कर वह जमींदार से पैसे की बात करने गया। पहले तो जमींदार ने लखन और सोना को खरी-खोटी सुनाई। फिर एक बड़ा विचित्र प्रस्ताव रखा।
     
जमींदार ने कहा कि वह पुराना कर्ज भी माफ कर देगा और नई रकम भी दे देगा बशर्ते सोना उससे शादी के लिए राजी हो जाए। यह सुनकर लखन दुखी हो गया और उसने अस्वीकार कर दिया। जमींदार ने शर्त थोड़ी बदल दी और एक चाल चली। उसने एक थैली मंगवाई और एक बड़े थाल में सफेद और काली गोटियां रखी थी। वह बोला कि मैं इस थैली में एक सफेद और एक काली गोटी डालूंगा। सोना को एक गोटी चुनकर निकालनी है। अगर वह काली गोटी निकलेगी तो उसे विवाह के लिए मंजूरी देनी होगी और वह मदद भी करेगा। अगर सफेद गोटी चुनी तो सारा कर्जा माफ कर देगा और उसे विवाह भी नहीं करना पड़ेगा। इतना कह जमींदार ने दो गोटियां थैली में डाल दी परंतु सबकी नजर बचाकर उसने धोखे से दोनों काली गोटियां डाली ताकि सोना को शादी के लिए मंजूर होना पड़े। सोना ने यह सब देख लिया था परंतु वह चुप रही।

उसे पता था कि उसे क्या करना है। उसने थैली में हाथ डाला और चुनी हुई गोटी को जानबूझकर गोटियों से भरे थाल में गिरा दिया। उसने सब कुछ इतनी जल्दी किया कि कोई देख नहीं पाया कि उसने किस रंग की गोटी चुनी थी। सोना बोली कि यह पता करने के लिए कि उसने किस रंग की गोटी चुनी थी थैली में बची दूसरी गोटी का रंग जांच लिया जाए। थैली में काली गोटी थी जिससे सभी ने यह मान लिया कि सोना की पहले चुनी गोटी सफेद थी जिसके मुताबिक अब लखन कर्ज से मुक्त था और सोना को शादी भी नहीं करनी पड़ीं। जमींदार कुछ कह ही नहीं पाया कि उसने धोखे से काली गोटियां ही डाली थी।

इस तरह सोना की शिक्षा और सूझबूझ ने न सिर्फ पिता को कर्ज से मुक्त करवाया बल्कि अपनी आगे की उच्च शिक्षा के सुनहरे रास्ते भी खोल दिए। उचित शिक्षा और ज्ञान बच्चों को न सिर्फ सफलता प्रदान करते हैं बल्कि उच्च श्रेणी का जिम्मेदार नागरिक भी बनाते हैं।

कई सीख
यह कहानी बताती है कि शिक्षा कितनी जरूरी है। सोना ने पढ़-लिखकर पिता के सपने को पूरा किया साथ ही आत्मविश्वास और समझदारी से पिता पर आए संकट को भी दूर कर दिया। इसी तरह हम भी बच्चों को शिक्षा के सही मायने समझाते हुए आगे बढ़ने देंगे तो वे हर छोटी-बड़ी समस्या को न सिर्फ समझोंगे बल्कि उसे सुलझाने में हमारे साथ खड़े होंगे और जिम्मेदारी के साथ हमें सलाह भी देंगे। हमें अक्सर एहसास ही नहीं हो पाता कि कब ये बच्चों छोटे से बड़े हो जाते हैं और हमारे बगैर एक कदम न चलने वाले ये दुलारे, हमारा सहारा बन जाते हैं। वे कई बार ऐसे सुझाव देते हैं जो हमारे दिमाग में भी नहीं आते।

उदाहरण : मलाला यूसुफजई हिम्मत और निडरता का पर्याय है जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं। मलाला ने अपनी हिम्मत और दृढ़ निश्चय से एक मिसाल कायम की है जो आने वाली कई पीढ़ियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करेगी। आज मलाला सोलह साल की है और शिक्षा के समान अधिकार के लिए लड़ रही है। परंतु मलाला में यह बेहिसाब हिम्मत कहां से आई और उसके इस संकल्प के पीछे कौन सी ताकत है? जवाब है मलाला की परवरिश और उसके पिता जियाऊद्दीन यूसुफजई की सकारात्मक महत्वकांक्षा। मलाला की अद्वितीय हिम्मत और आधुनिक सोच का श्रेय उसके पिता को जाता है और मलाला ने भी पिता के सपनों को आकार देकर अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया।

समस्या-समाधान
आप स्वयं बढ़ते बच्चों से खुलकर बात नहीं कर पाते, अपनी समस्या बताने से कतराते हैं।
बच्चों के बड़े होने पर भी हम उन्हें कमतर आंकते हैं और उनके मानसिक विकास और क्षमता का सही से आंकलन नहीं कर पाते हैं। उन्हें परेशानी बताने से समाधान मिल सकता है और न भी मिले तो रिश्ते में मजबूती मिलेगी।

हर बच्चा मलाला हो
काश! हर बच्चा मलाला की तरह शिक्षा के सही उद्देश्य को समझकर निजी जरूरतों और हितों से ऊपर उठकर सामाजिक मुद्दों और ज्ञान की उत्पत्ति की दिशा में कदम बढ़ाए।

शिक्षा मानव अधिकार है जिसमें परिवर्तन और सृजन की असीम ताकत है। यह ऐसा आधार प्रदान करती है जिस पर आजादी, लोकतंत्र और मानवीय विकास के नींव के पत्थर स्थापित होते हैं।    
    -कोफी अन्नान

ऐसे माता-पिता जिनके मन में अपने बच्चों से संबंधित कोई सवाल या विचार हैं तो यहां बताएं।
ई-मेल: bachcheaap@gmail.com

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