कांग्रेस की शिकायत में दम नहीं
कांग्रेस ने भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्वाचन आयोग से शिकायत जरूर की है कि उन्होंने अपने पूर्व के शपथपत्रों में पत्नी का उल्लेख नहीं किया था। इसलिए उनका नामांकन रद्द किया...
कांग्रेस ने भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्वाचन आयोग से शिकायत जरूर की है कि उन्होंने अपने पूर्व के शपथपत्रों में पत्नी का उल्लेख नहीं किया था। इसलिए उनका नामांकन रद्द किया जाए, लेकिन इस शिकायत में दम नहीं है। चुनावों में नामांकन के समय शपथपत्र देने का सिलसिला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से शुरू हुआ है। वर्ष 2003 में दिए फैसले में कोर्ट ने चुनाव में उम्मीदवारों को अपनी पूरी जानकारी देना आवश्यक कर दिया था।
इसके बाद सितंबर 2013 में एक एनजीओ की याचिका पर कोर्ट ने एक और फैसला दिया जो पूर्व के फैसले पर स्पष्टीकरण है। इसमें शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि शपथपत्र अधूरा होगा तो निर्वाचन अधिकारी को पूरा अधिकार होगा कि वह आरपी एक्ट की धारा 125 ए (1) के तहत उम्मीदवार का नामांकन रद्द करने की सिफारिश करे। इससे बचने के लिए उम्मीदवार कोई खाना खली नहीं छोड़ेगा। यदि कोई कॉलम उस पर लागू नहीं है तो वह उसमें ‘लागू नहीं’ या ‘निल’ या ‘ज्ञात नहीं’ लिखेगा।
इस याचिका में निर्वाचन आयोग ने भी कोर्ट से आग्रह किया था कि यह स्पष्ट किया जाए कि उम्मीदवारों के अधूरे शपथपत्रों पर आयोग क्या कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि 2003 के फैसले में यह स्पष्ट नहीं है कि अधूरे शपथपत्रों पर आयोग क्या कार्रवाई करेगा। यही वजह है कि कांग्रेस की शिकायत में दम नहीं दिखाई देता। मोदी के अधूरे शपथपत्र विधानसभा चुनावों के समय के हैं।
जबकि कोर्ट का फैसला जिसमें शपथपत्रों को अधूरा छोड़ने पर नामांकन रद्द करने की बात है, 13 सितंबर 2013 का है। गत सप्ताह मोदी के खिलाफ की गई कांग्रेस की शिकायत पर आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि इसमें कुछ नहीं हो सकता। इस मामले में आयोग ने स्वयं कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा था। अब यदि कोई शपथपत्र अधूरा आएगा तो उस नामांकन को रद्द कर दिया जाएगा।