इंटरनेट के जरिये मतदान से नयी समस्या पैदा होगी: न्यायालय
अप्रवासी भारतीयों को आम चुनाव के दौरान इंटरनेट के जरिये मत देने की उम्मीदों पर शुक्रवार को उस समय पानी फिर गया जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस समय कोई भी अंतरिम राहत देने से समस्यायें पैदा हो सकती...
अप्रवासी भारतीयों को आम चुनाव के दौरान इंटरनेट के जरिये मत देने की उम्मीदों पर शुक्रवार को उस समय पानी फिर गया जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस समय कोई भी अंतरिम राहत देने से समस्यायें पैदा हो सकती हैं।
शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग के इस तर्क पर ध्यान दिया कि 20 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 104 लोक सभा सीटों के लिये पहले ही मतदान हो चुका है और ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ताओं को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने कहा कि चुनाव के बाद क्या यह संभव है क्या इससे नयी परेशानियां पैदा नहीं होंगी। यदि इस पर ध्यान दिया गया तो व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा होंगी।
न्यायधीशों ने कहा कि अभी कल ही केरल सहित देश के कई हिस्सों में मतदान हुआ है। संयोग से अधिकांश याचिकाकर्ता दक्षिणी राज्य से ही हैं। लेकिन न्यायालय ने देश के विभिन्न स्थानों पर मतदाताओं के रूप में पंजीकृत
प्रवासी भारतीयों को इलेक्ट्रानिक पद्धति के माध्यम से मताधिकार देने की मांग पर विस्तार से विचार करने का निश्चय किया।
न्यायालय ने नोटिस जारी किये और केन्द्र तथा निर्वाचन आयोग से कहा कि एक महीने के भीतर इस मामले में जवाबी हलफनामे दाखिल किये जायें। न्यायालय इस मामले में अब अगस्त के अंत में सुनवाई करेगा।
न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को प्रवासी भारतीयों के लिये मतदान हेतु उपलब्ध विकल्पों के अध्ययन के लिये गठित समिति की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने सात अप्रैल को निर्वाचन आयोग से कहा था कि इन चुनावों में विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों को इंटरनेट के माध्यम से मत देने की संभावना तलाशी जाये।