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ओशियनोग्राफर: समुद्री पर्यावरण के जानकार

ओशियनोग्राफी उन लोगों के लिए है, जो समुद्र से प्रेम करते हैं और उसमें बसने वाले जीवन की विविधता को लेकर उत्सुक रहते हैं। जीव विज्ञान के अंश के रूप में ओशियनोग्राफी में पानी के बहाव, लहरों, प्लेट...

ओशियनोग्राफर: समुद्री पर्यावरण के जानकार
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 07 Apr 2014 03:48 PM
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ओशियनोग्राफी उन लोगों के लिए है, जो समुद्र से प्रेम करते हैं और उसमें बसने वाले जीवन की विविधता को लेकर उत्सुक रहते हैं। जीव विज्ञान के अंश के रूप में ओशियनोग्राफी में पानी के बहाव, लहरों, प्लेट टेक्टोनिक्स, समुद्र तल की जियोलॉजी तथा समुद्र से जुड़ी सभी रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन शामिल है। भारत में करीब 600 ओशियनोग्राफर हैं, साथ ही इंडस्ट्री में रिसर्चर अलग से कार्यरत हैं।
ओशियनोग्राफर सरकारी संगठनों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थाओं में कार्यरत हैं। जिन संस्थानों को उनकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है, उनमें शामिल हैं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी, सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज, नेवल फिजिकल एंड ओशियनोग्राफिक लेबोरेट्री, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी इत्यादि। आज के दौर में इस विज्ञान का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि यह वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन के प्रभाव को समझने में वैज्ञानिकों की मदद करता है, खासकर ग्लोबल वार्मिग के संबंध में। दरअसल वेपोराइजेशन, कंडेन्सेशन तथा प्रेसिपिटेशन इत्यादि का सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। इस विज्ञान की जीवविज्ञान शाखा का हिस्सा है मरीन बायोलॉजी, जो उनकी उत्पत्ति व उनके समुद्र के पर्यावरण के अध्ययन से जुड़ी है। कैमिकल ओशियनोग्राफी अध्ययन में समुद्र की रासायनिक स्थिति व पर्यावरण के साथ उसके रासायनिक स्वभाव की जानकारी हासिल करना शामिल होता है। जियोलॉजी में समुद्र तल की जियोलॉजी का अध्ययन करना शामिल है। फिजिकल ओशियनोलॉजी में समुद्र के तापमान, उसके स्ट्रक्चर, लहरों, ज्वारों इत्यादि के बारे में अध्ययन किया जाता है।

दक्षता तथा योग्यता
वैज्ञानिक सोच व दिमाग ’बेहतर मूल्यांकन व विश्लेषण क्षमता ’बेसिक साइंस का उत्तम ज्ञान’ खास तौर से समुद्र के व्यवहार के प्रति जिज्ञासा, साथ में धरती के बारे में सामान्य जानकारी होनी चाहिए
लंबे समय तक काम करने की क्षमता, शारीरिक स्वस्थता व मोशन व सिकनेस को झेलने की क्षमता।

कैसे हासिल करें मुकाम
कक्षा 11 व 12 में विज्ञान विषय लें (वरीयत: गणित के साथ)। ओशियनोग्राफी में मास्टर्स में प्रवेश की अपेक्षाएं अलग-अलग होती हैं। विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों के लिए अलग बेचलर व मास्टर्स की अपेक्षा करते हैं, जिसमें बायोलॉजी, कैमिस्ट्री, जियोलॉजी, मरीन जियोलॉजी, मरीन जियोफिजिक्स इत्यादि शामिल हैं या फिर विशेष शाखाओं में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स की एसोसिएट सदस्यता।

मास्टर्स की डिग्री के बाद प्रत्याशी को पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश के लिए यूजीसी-सीएसआईआर नेशनल एलिजिबिलिटी टैस्ट (बेसिक साइंस के लिए) या इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टैस्ट (इंजीनियिरग के लिए) पास करना होता है।   

फैक्ट फाइल
संस्थान और वेबसाइट

नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ ओशियनोलॉजी, गोवा
www.nio.org
कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कोच्चि
www.cusat.ac.in
अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
www.annamalaiuniversity.ac.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर और मद्रास
www.iitkgp.ac.in, www.iitm.ac.in
मंगलौर यूनिवर्सिटी
www.mangaloreuniversity.ac.in
आंध्र यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम
www.andhrauniversity.edu.in
डिपार्टमेंट ऑफ मरीन साइंसेज, गोवा यूनिवर्सिटी
www.unigoa.ac.in
स्कूल ऑफ ओशियनोलॉजी स्टडीज, जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
www.ocean-ju.org

फायदे और नुकसान
रोचक कार्य, पर्यावरण संबंधी समस्याओं को सुलझाने में सहायक हो सकते हैं
कई बार काम काफी थकाने वाला हो सकता है

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