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मायके का हक

विधि आयोग की ताजा रिपोर्ट में महिला अधिकारों से जुड़ी जो क्रांतिकारी सिफारिश की गई है उसके अनुसार बिना वसीयत किए किसी विवाहिता की मृत्यु के बाद उसकी स्वअर्जित सम्पत्ति पर ससुराल ही नहीं, मायके वालो...

 मायके का हक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विधि आयोग की ताजा रिपोर्ट में महिला अधिकारों से जुड़ी जो क्रांतिकारी सिफारिश की गई है उसके अनुसार बिना वसीयत किए किसी विवाहिता की मृत्यु के बाद उसकी स्वअर्जित सम्पत्ति पर ससुराल ही नहीं, मायके वालो का भी हक होगा। यह सिफारिश समाज में आए बदलाव का दर्पण है। मध्य वर्ग की महिलाएं आज बड़ी संख्या में डॉक्टरी, इांीनियरिंग, अध्यापन आदि पेशों से जुड़ी हैं और अपनी मेहनत की कमाई से घर और जमीन-ाायदाद खरीदती हैं। बरसों पहले बने हिन्दू उत्तराधिकार कानून में यह कल्पना नहीं की गई थी कि कोई महिला अपनी कमाई से सम्पत्ति खड़ी कर सकती है अत: इस कानून की धारा 15 में महिला की सम्पत्ति का सीधा अर्थ है ससुराल या मायके से मिली सम्पत्ति। ऐसी सम्पत्ति का बंटवारा भी सीधा-सीधा है। महिला की मृत्यु के बाद पति के परिवार से मिली सम्पत्ति ससुराल पक्ष को और पिता से मिली मायके पक्ष को दी जाती है। महिला की स्वअर्जित सम्पत्ति का सत्य नया है, इसलिए कानून में संशोधन किया जाना जरूरी था। विधि आयोग ने जो सिफारिश की है उसके अनुसार यदि विवाहित महिला का निधन वसीयत किए बिना हो जाता है तब उसकी स्वअर्जित सम्पत्ति में दोनों पक्षों की हिस्सेदारी होगी। अगर सरकार ने यह सिफारिश स्वीकार कर ली और संसद ने आवश्यक संशोधन कर दिया, तब इसका लाभ लड़कियों के उन मां-बाप को मिलेगा जिनका बुढ़ापे में कोई सहारा नहीं होता। पैतृक सम्पत्ति में लड़कियों को बराबरी का हिस्सा देने के कानून को अमलीजामा पहनाना भी दूर का सपना है। स्वअर्जित सम्पत्ति में मायके वालों को हिस्सा देने का ख्वाब भी न जाने कब पूरा होगा? हां, इस बीच पढ़ी-लिखी महिलाएं वसीयत के माध्यम से मां-बाप और जरुरतमंद भाई-बहनों को अपनी सम्पत्ति में हिस्सा देने की पहल तो कर ही सकती हैं। ऐसा करने में कोई कानून आड़े नहीं आएगा। देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी कमाई किसी को भी देने का हक है। और वसीयत की मौजूदगी से मरणोपरांत स्त्री की संपत्ति की अप्रिय शींचतान नहीं हो सकेगी।

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