फोटो गैलरी

Hindi Newsप्रदर्शन ही तय करेगा तीसरे मोर्चे का भविष्य

प्रदर्शन ही तय करेगा तीसरे मोर्चे का भविष्य

पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव वामपंथी दलों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। इन दलों के समक्ष अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की चुनौती है। लेकिन स्थितियां बहुत ज्यादा उनके अनुकूल नहीं हैं। वामदलों के अपने ही गढ़...

प्रदर्शन ही तय करेगा तीसरे मोर्चे का भविष्य
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Mar 2014 11:40 AM
ऐप पर पढ़ें

पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव वामपंथी दलों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। इन दलों के समक्ष अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की चुनौती है। लेकिन स्थितियां बहुत ज्यादा उनके अनुकूल नहीं हैं।

वामदलों के अपने ही गढ़ रहे पश्चिम बंगाल और केरल में अभी भी राह कठिन बनी हुई है। केरल में स्थिति थोड़ी अनुकूल हुई थी लेकिन वाम मोर्चे की आपसी फूट ने उसे फिर जटिल बना दिया।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वाम दलों का प्रदर्शन उनके स्वयं के लिए तो जीवन-मरण का प्रश्न है ही, यह तीसरे मोर्चे का भविष्य भी तय करेगा। पिछले चुनावों में चार वाम दलों माकपा, भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड ब्लॉक का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। चारों दलों के वाम मोर्चे को कुल 24 सीटें मिल पाई थी। जबकि तीसरे मोर्चे के विकल्प देने के लिए इन दलों की मजबूत उपस्थिति होनी चाहिए। कम से कम 40 या इससे अधिक सीटें यदि वे लाते हैं तो वे एक तीसरे मोर्चे के गठन की दिशा में पहल कर सकेंगे।

वामदलों के केरल में इस बार बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। वहां माकपा 16 और भाकपा चार सीटों पर लड़ रही है। केरल में पिछली बार माकपा को सिर्फ चार सीटें मिली थीं। पार्टी नई तैयारियों के साथ चुनाव मैदान में कूदी है।

सत्ता से बाहर रहने के कारण एलडीएफ के प्रति लोगों में फिर से थोड़ी सहानुभूति पैदा हुई है। हालांकि ओमान चांडी सरकार के खिलाफ जनता में कोई विशेष नाराजगी जैसी बात नहीं है। फिर भी यह माना जा रहा है वहां वामदल बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन उसके दो घटक फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी इस बार अलग हो गए हैं। फारवर्ड ब्लॉक का वहां कोई जनाधार नहीं है लेकिन आरएसपी ने कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर माकपा और भाकपा के लिए चुनौती पैदा की है।

जहां तक पश्चिम बंगाल का प्रश्न है वहां वामदलों के लिए तृणमूल कांग्रेस से निपटना चुनौती बनी हुई। वामदलों ने बड़े पैमाने पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर और स्थानीय मुद्दों पर ममता की घेराबंदी की है। लेकिन सवाल अभी भी यह है कि क्या वे पहले से बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। इसके अलावा त्रिपुरा की दो सीटों पर वाम मोर्चे को फिर से जीत मिल सकती है।

तमिलनाडु और ओडिशा में भाकपा को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है लेकिन बिना अन्नाद्रमुक के सहारे से वह कितना सफल होगी कहना मुश्किल है। पिछले चुनावों में इन राज्यों से पार्टी एक-एक सीट जीतेगी।

वामदलों ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और चंडीगढ़ से भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन इसे रस्म अदायगी माना जा रहा है। असल फैसला पश्चिम बंगाल और केरल से ही होना है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें