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क्रीमिया की स्वतंत्रता को पुतिन ने दी मान्यता

शीत युद्ध के बाद मास्को के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के तौर पर मान्यता दे दी, जिसे...

क्रीमिया की स्वतंत्रता को पुतिन ने दी मान्यता
एजेंसीTue, 18 Mar 2014 09:37 AM
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शीत युद्ध के बाद मास्को के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के तौर पर मान्यता दे दी, जिसे वॉशिंगटन के लिए ऐसी खुली चुनौती माना जा रहा है जिससे यूरोप में सुरक्षा संकट बढ़ गया है।

रूस की क्रीमिया प्रायद्वीप को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश के तौर पर मान्यता देने संबंधी घोषणा क्रेमलिन की वेबसाइट पर डाली गयी है। इससे पहले अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस तथा क्रीमियाई संकट में शामिल यूक्रेन के अधिकारियों के खिलाफ कल अन्य प्रतिबंध लगाए और उनकी संपत्ति जब्त करने की घोषणा की।

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी कि अगर रूस यूक्रेन में हस्तक्षेप बंद नहीं करता तो उसके खिलाफ और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। निश्चित रूप से पुतिन का कदम अमेरिका के लिए एक चुनौती माना जा रहा है।

पश्चिमी देश चाहते हैं कि मास्को की फौजें क्रीमिया से वापस चली जाएं। उनके विचार से क्रीमिया रूस का एक हिस्सा है। विश्लेषकों की राय में कल के प्रतिबंध लगभग प्रभावहीन हैं। मास्को ने यूक्रेन में व्याप्त तनाव और विवाद दूर करने का कोई संकेत नहीं दिया है।

काला सागर के किनारे स्थित सामरिक महत्व वाले इस प्रायद्वीप पर रूसी सैनिकों ने पिछले माह कब्जा कर लिया और रविवार को हुए जनमत संग्रह का समर्थन किया। इस जनमत संग्रह में रूस के साथ जुड़ने का आह्वान किया गया है। क्रीमिया को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देना इस क्षेत्र को खुद से जोड़ने की एक तरह से अंदरूनी कोशिश होगी।

18वीं सदी से क्रीमिया रूस का हिस्सा था, लेकिन 1954 में तत्कालीन सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इसे यूक्रेन को हस्तांरित कर दिया। अब रूसी और क्रीमिया के बहुसंख्यक मूल निवासी रूसी रूस के साथ जुड़ाव को ऐतिहासिक अपमान दूर करने के प्रयास के तौर पर देखते हैं।

यूक्रेन में अशांति नवंबर में शुरू हुई थी। एक महत्वपूर्ण करार पर राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के हस्ताक्षर न करने से उनके खिलाफ प्रदर्शनों की शुरूआत हुई और लोगों का गुस्सा इतना बढ़ा कि फरवरी के आखिर में यानुकोविच को देश छोड़ कर रूस जाना पड़ा। यूरोप में हालिया सालों में यह सबसे बड़ा सुरक्षा संकट है।

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