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नक्सलियों ने जवानों पर किया हमला, 16 शहीद

दंतेवाडा में 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवानों के खूनी नरसंहार की यादें मंगलवार को फिर ताजा हो गयीं जब नक्सलियों ने एक बार फिर उसी इलाके में सुरक्षाकर्मियों पर हमला बोलकर सीआरपीएफ के 11 जवानों सहित 16...

नक्सलियों ने जवानों पर किया हमला, 16 शहीद
एजेंसीWed, 12 Mar 2014 01:06 AM
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दंतेवाडा में 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवानों के खूनी नरसंहार की यादें मंगलवार को फिर ताजा हो गयीं जब नक्सलियों ने एक बार फिर उसी इलाके में सुरक्षाकर्मियों पर हमला बोलकर सीआरपीएफ के 11 जवानों सहित 16 लोगों की ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी।

हमलावर नक्सल, जिनकी संख्या 200 के आसपास थी, करीब तीन घंटे तक चले मुठभेड़ के बाद मृत पुलिसकर्मियों के हथियार और गोला बारूद लेकर फरार हो गए। सड़क निर्माण स्थल पर हुआ यह हमला छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से ठीक एक महीना पहले किया गया है।

समझा जाता है कि दिन दहाड़े हुए इस हमले को दंडकारण्य जोनल कमेटी की दडबा घाटी इकाई के रामन्ना—सुरिन्दर—देवा की तिकड़ी ने अंजाम दिया है। जिस जगह आज हमला बोला गया, वह पूर्व में हुए एक अन्य हमले वाली जगह से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर है। पूर्व में हुए हमले में महेन्द्र कर्मा सहित राज्य कांग्रेस के समूचे नेतृत्व का नक्सलियों ने लगभग सफाया कर दिया था। इसी गिरोह ने पिछले हमले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल और उनके बेटे तथा कर्मा सहित 25 लोगों की जान ली थी।

हमला यहां से 400 किलोमीटर दूर जीरम नाला में सुबह सवा दस बजे किया गया। सुरक्षाबलों के 44 जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया। ताबड़तोड़ फायरिंग हुई और बारूदी सुरंग विस्फोट भी हुए । उस समय ये जवान तोंगपाल के जंगलों में अभियान पर जा रहे थे। ये जगह दंतेवाडा और जीरम घाटी की धुरी पर है। ये इलाका नक्सल हिंसा के लिहाज से काफी कुख्यात है।

इस हमले को कायरतापूर्ण कार्रवाई करार देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि करीब 200 नक्सलियों ने इस हमले को अंजाम दिया जिसमें सीआरपीएफ के 11 जवान, जिला पुलिस के चार जवान और एक आम नागरिक की मौत हो गई। ये व्यक्ति वाहन चला रहा था। उन्होंने बताया कि घायलों को हेलीकाप्टर से रायपुर लाया गया है। उन्हें चिकित्सकीय मदद मिल रही है । घटना ऐसी जगह हुई, जहां सड़कों का निर्माण चल रहा है। समझा जाता है कि सीआरपीएफ का एक सहायक कमांडेंट रैंक का अधिकारी भी हमले में मारा गया है।

खुफिया ब्यूरो द्वारा 17 फरवरी को चेताए जाने के बावजूद ये हमला हुआ है। नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों से कहा गया था कि वे अतिरिक्त सतर्कता बरतें क्योंकि प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी ने चुनाव बहिष्कार कार्यक्रम का ऐलान किया है और वे सुरक्षाकर्मियों पर हमले तेज कर सकते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हम नक्सलियों से सीधी टक्कर लेंगे। नक्सलियों की गतिविधियों से पूरी कठोरता से निपटा जाएगा और हम ऐसा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि नक्सली मारे गए जवानों के हथियार और गोला बारूद साथ ले गये और तीन वाहनों को भी आग लगा दी।

घने जंगलों में भाग गए नक्सलियों की तलाश के लिए व्यापक अभियान छेडा गया है। तत्काल नहीं पता चल पाया है कि नक्सलियों में से कोई हमले के दौरान मारा गया या नहीं। गृह सचिव अनिल गोस्वामी की अध्यक्षता में दिल्ली में इस घटना को लेकर कई दौर की बैठकें हुई। राज्य में मुख्यमंत्री ने खुद इस संबंध में कई बैठकें कीं।

दिल्ली में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (आपरेशन) जुल्फिकार हसन ने बताया कि इलाके में बारूदी सुरंगों का जाल है। ऐसे में मदद कार्य पूरी सतर्कता से किया जा रहा है। नक्सलियों ने इसी इलाके में अप्रैल 2010 में सुरक्षाबलों के 76 जवानों की हत्या कर दी थी। आज जिस समय नक्सलियों ने हमला बोला, सीआरपीएफ के 30 और राज्य पुलिस के 14 जवान सड़क खोलने के उद्देश्य से जा रहे थे।
 
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के दो हेलीकाप्टर जगदलपुर और रायपुर से घटनास्थल पर भेजे गए और इनमें कोबरा बटालियन तथा सीआरपीएफ के जवानों को भेजा गया है। हमले के बाद मौके पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मारे गए अधिकांश जवानों को गोली लगी है। अधिकारियों ने कहा कि दो कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उन्हें रायपुर में विशेष चिकित्सकीय देखरेख में भेजा गया है क्योंकि गोलियां उनकी आंतों में लगी हैं। इस बीच सीआरपीएफ के महानिदेशक दिलीप त्रिवेदी और महानिरीक्षक (आपरेशन) हसन मौके पर पहुंच चुके हैं।

 

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