जेलों से खतरे भी होते ट्रांसफर!
बिहार की जेलों से खतरे भी ट्रांसफर होते हैं! हार्डकोर माओवादी अजय कानू के मामले में तो यह बात अब सौ फीसदी सच लगती है। प्रशासन ने जब भी कानू को एक जेल से दूसरी जेल में ट्रांसफर किया उसके साथ खतर भी...
बिहार की जेलों से खतरे भी ट्रांसफर होते हैं! हार्डकोर माओवादी अजय कानू के मामले में तो यह बात अब सौ फीसदी सच लगती है। प्रशासन ने जब भी कानू को एक जेल से दूसरी जेल में ट्रांसफर किया उसके साथ खतर भी ट्रांसफर हो गए। नया खतरा बेउर सेंट्रल जेल पर है। कानू फिलहाल बेउर के हाई सिक्यूरिटी सेल में कैद है। कानू का बेउर में रहना पुलिस और जेल प्रशासन के लिए बड़ा ‘थट्र’है। इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने बेउर के इर्द-गिर्द हुए अतिक्रमण और निजी जमीन पर हुए निर्माण को ढाहने का फैसला कर लिया है।ड्ढr ड्ढr डर इस बात का है कि जेल के निकट एक सीमित दायर में अतिक्रमण कर बनी झोपड़ियों, खटालों और प्राइवेट लैण्ड पर बने मकानों का फायदा माओवादी उठा सकते हैं। जेल पर माओवादी हमले की आशंका ने सरकार और जेल प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। वजह भी लाजिमी है। अजय कानू को छुड़ाने की खातिर ही माओवादियों ने जहानाबाद जेल पर हमला किया था। कानू मुक्त हुआ और फिर पकड़ा गया। बावजूद इसके कानू का खौफ जेल प्रशासन के सिर चढ़कर बोलता रहा। गिरफ्तारी के बाद उसे गया सेंट्रल जेल में रखा गया। 24 घंटे में ही गया के जेल के अधीक्षक ने सरकार को त्राहिमाम संदेश भेज कर कानू को वहां से हटाने की गुहार लगायी। सरकार हरकत में आयी और कानू को रातो-रात बेउर ट्रांसफर किया गया। पर, कानू के साथ वह खतरा भी बेउर आ पहुंचा जिससे प्रशासन सशंकित है। सूत्रों की मानें तो खुफिया तंत्र ने भी जेल प्रशासन को बेउर पर संभावित खतर से आगाह कर रखा है। लिहाजा कानू के कारण बेउर पर संभावित खतर को भांपते हुए प्रशासनिक दृष्टिकोण से तैयारी शुरू हो गयी है।