शुल्क दरों में बढ़ोतरी कर सकती हैं दूरसंचार कंपनियां
दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही की स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,100 करोड़ रुपये के भुगतान की प्रतिबद्धता जताई है और यह धन जुटाने की उनकी कोशिश में आने वाले दिनों में ग्राहकों को मोबाइल सेवाओं के लिए...
दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही की स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,100 करोड़ रुपये के भुगतान की प्रतिबद्धता जताई है और यह धन जुटाने की उनकी कोशिश में आने वाले दिनों में ग्राहकों को मोबाइल सेवाओं के लिए थोड़ा अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि अपने मुनाफे को बनाये रखने के लिए दूरसंचार कंपनयिां छूटों में तत्काल कटौती कर सकती हैं और धीरे धीरे शुल्क दरों में भी बढ़ोतरी कर सकती हैं।
डेलाइट हसकिंस एंड सेल्स के पार्टनर हेमंत जोशी ने पीटीआई से कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार जीती और उद्योग जगत हार गया। कंपनियों पर 61,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा।
उन्होंने कहा कि बढ़ी लागत से शुल्क दर बढ़नी चाहिए, लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते सारा ही बोझ उपभोक्ताओं पर डाले जाने की संभावना नहीं है।
जीएसएम उद्योग के संगठन सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यू ने कहा कि शुल्क दर वृद्धि के बारे में टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी, हालांकि डेटा शुल्क दर पर दबाव होगा और छूटों में कमी की जा सकती है।
केपीएमजी के पार्टनर जयदीप घोष ने भी कहा कि छूटें समाप्त होंगी, लेकिन प्रमुख शुल्क दरों में वृद्धि अपेक्षित नहीं है।