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भ्रष्टाचार के पैमाने में आया बड़ा उछाल: मुख्य न्यायाधीश

समाज को कैंसर की तरह अपनी चपेट में लेने की भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम ने कहा कि भ्रष्टाचार के पैमाने में आए बड़े उछाल पर लगाम लगाने के लिए रवैये में...

भ्रष्टाचार के पैमाने में आया बड़ा उछाल: मुख्य न्यायाधीश
एजेंसीThu, 13 Feb 2014 12:43 AM
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समाज को कैंसर की तरह अपनी चपेट में लेने की भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम ने कहा कि भ्रष्टाचार के पैमाने में आए बड़े उछाल पर लगाम लगाने के लिए रवैये में बदलाव की जरूरत है।

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता की खातिर संस्थाओं की आजादी की वकालत करते हुए न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा कि ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के नतीजे सबको पता हैं, पर शायद इसका अहसास नहीं है। केंद्रीय सतर्कता आयोग के गोल्डन जुबली समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि या तो लोगों ने देश को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने की उम्मीद छोड़ दी है या उन्होंने इसे जिंदगी की एक असलियत मानकर भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है। न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा कि ये दोनों ही रवैये लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने भी शिरकत की।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमारे देश में छह दशकों की आजादी ने सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के पैमाने और उसकी जटिलता में बड़ा उछाल देखा है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में मूल्य एवं उन मूल्यों की दृष्टि में बड़ा बदलाव आया है। देश में बेहतर प्रशासन एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने संस्थाओं की आजादी की पुरजोर तरफदारी की।

न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। एक स्वस्थ लोकतंत्र में संस्थाएं निश्चित तौर पर स्वतंत्र और सशक्त होनी चाहिए ताकि बेहतर प्रशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता में यह मददगार हो। मुख्य न्यायाधीश ने ये बातें ऐसे समय में कही हैं जब एक दिन पहले ही भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) तथा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) जैसी संस्थाओं को मजबूत बनाया जाना चाहिए।
 

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