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जनार्दन द्विवेदी बोले, नहीं बनानी चाहिये थी सरकार

अब तक के सबसे कठिन चुनाव का सामना करने जा रहे कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने यह सवाल उठाया है कि क्या 2009 के आम चुनाव के बाद संप्रग दो सरकार का नेतृत्व करना पार्टी के लिए दूरदर्शितापूर्ण निर्णय...

जनार्दन द्विवेदी बोले, नहीं बनानी चाहिये थी सरकार
एजेंसीSun, 02 Feb 2014 03:22 PM
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अब तक के सबसे कठिन चुनाव का सामना करने जा रहे कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने यह सवाल उठाया है कि क्या 2009 के आम चुनाव के बाद संप्रग दो सरकार का नेतृत्व करना पार्टी के लिए दूरदर्शितापूर्ण निर्णय था।

इस नेता ने हालांकि यह स्वीकार किया कि गठबंधन एक मजबूरी होता है। बहरहाल वह महसूस करते हैं कि कांग्रेस को पिछले चुनाव के बाद विपक्ष में बैठना चाहिए था ताकि वह आगामी चुनावों के बाद अपने बलबूते पर सरकार बनाने की स्थिति में होती।

पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने एक इंटरव्यू में कहा कि 2004 के मुकाबले 2009 के चुनाव में जनता का अधिक समर्थन मिलने के बाद यह बेहतर होता कि कांग्रेस सरकार नहीं बनाती और जिससे कोई अन्य सरकार बना सकता। ऐसी स्थिति में कांग्रेस एक स्वस्थ्य विपक्ष की भूमिका निभा सकती थी।

कांग्रेस महासचिव के ये विचार ऐसे समय में काफी महतवपूर्ण है जब पार्टी गठबंधन के मुद्दे पर जूझ रही है और उसकी सरकार दस साल के सत्ता विरोधी और भ्रष्टाचार के गहरे आरोपों का सामना कर रही है। द्विवेदी ने कहा कि जब तक आप पिछले प्रयोगों को खत्म नहीं करते, आप नया प्रयोग शुरू नहीं कर सकते। चूंकि हमने 2009 में उस अध्याय को समाप्त नहीं किया इसलिए हम आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए अभी भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं।

द्विवेदी पार्टी में एकला चलो के बड़े पैरोकार समझे जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने पार्टी की सरकार बनाने के लिए जनादेश चाहा था, संप्रग दो के लिए नहीं। यद्यपि उसे यह जनादेश नहीं मिला हालांकि उसकी सीटें बढ़ीं। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि इन दिनों संभवत: किसी प्रमुख राजनीतिक दल में आत्मविश्वास और धीरज नहीं रहा कि वह सहज भाव से विपक्ष की भूमिका अदा करे ,चुनौतियां स्वीकार करे, जनता के लिए संघर्ष करे और एक नयी चमक के साथ जनसमर्थन लेकर सरकार बनाये।

उन्होंने कहा कि स्वभाविक नेतृत्व विकसित करने की बजाय तकनीकी नेतृत्व विकसित करने का प्रयास अधिक किया जा रहा है। पिछले दो तीन दशकों में क्षेत्रीय नेताओं के उभरने का उदाहरण देते हुए द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि ये लोग विलायत से पढ़कर नहीं आये हैं और न ही फर्राटेदार अंग्रेती बोलते हैं। वे लोग नयी तकनीक के भी माहिर नहीं हैं फिर भी वे जनता का समर्थन पाते हैं।

द्विवेदी ने कहा कि उनकी एक मात्र सीमा यह है कि उनमें राष्ट्रीय दृष्टिकोण का अभाव है, लेकिन वे राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखने वाले प्रमुख दलों को नुकसान पहुंचाने की पूरी ताकत रखते हैं। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राष्ट्र और साथ ही कांग्रेस ने मध्य मार्ग का अनुसरण किया है और यह बना रहेगा।

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