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समान प्वाइंट होने पर लॉटरी से मिलेगा दाखिला

सामान्य वर्ग की 75 फीसदी सीटों के लिए यह व्यवस्था, स्कूल लॉटरी की वीडियोग्राफी कराकर फुटेज निदेशालय को भेजेंगे नर्सरी दाखिले में इस बार सबसे अधिक दूरी वर्ग में 70 प्वाइंट मिल रहे हैं। अभिभावक भी इसी...

समान प्वाइंट होने पर लॉटरी से मिलेगा दाखिला
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Jan 2014 11:27 AM
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सामान्य वर्ग की 75 फीसदी सीटों के लिए यह व्यवस्था, स्कूल लॉटरी की वीडियोग्राफी कराकर फुटेज निदेशालय को भेजेंगे
नर्सरी दाखिले में इस बार सबसे अधिक दूरी वर्ग में 70 प्वाइंट मिल रहे हैं। अभिभावक भी इसी वर्ग में जमकर आवेदन कर रहे हैं। सिबलिंग और एलूमनी वर्ग में आवेदन कम आए हैं। ऐसे में दूरी वर्ग में बच्चों के बराबर प्वाइंट मिलने की उम्मीद है। यदि ऐसा होता तो कई बच्चों में ड्रॉ होगा और सीट लॉटरी से दी जाएगी। इस बाबत निदेशालय ने गुरुवार रात नोटिफिकेशन जारी कर दिया।

नोटिफिकेशन के मुताबिक, यह व्यवस्था सामान्य वर्ग की 75 फीसदी सीटों के लिए है। समान प्वाइंट आने पर लॉटरी ही विकल्प है। खास बात यह है कि अभिभावकों के सामने लॉटरी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें सॉफ्टवेयर या किसी इलेक्ट्रिनिक उपकरण का सहारा नहीं लिया जाएगा। कागज की पर्ची से लॉटरी होगी। इसके अलावा अभिभावक को मोबाइल व रिकॉर्डर लेने जाने की अनुमति होगी। वे चाहें तो लॉटरी की प्रक्रिया का वीडियो भी बना सकेंगे। वहीं प्रक्रिया पारदर्शी बनाने के लिए स्कूलों को वीडियोग्राफी करानी होगी। इसकी फुटेज निदेशालय को भी भेजनी होगी। इतना ही नहीं, जिस दिन लॉटरी से सीट दी जाएगी उसी दिन चयनित बच्चों की सूची जारी करनी होगी।

बहरहाल, तीन दिनों में हर स्कूल में दूरी वर्ग में औसतन 75 फीसदी आवेदन आए हैं। डीपीएस में 75 फीसदी, स्प्रिंगडेल्स में 72 फीसदी, जीडी गोयनका और अल्पसंख्यकों स्कूलों में 77 फीसदी आवेदन दूरी वर्ग के तहत किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में इनकी संख्या में तेजी से इजाफा होगा। ऐसे में एक सीट पर 50-50 बच्चों की दावेदारी की स्थिति बनेगी।

नर्सरी डॉट काम के सुमित वोहरा का कहना है कि अभिभावकों को चाहिए कि वे सबसे नजदीक के स्कूल में आवेदन करें। आवेदन न सिर्फ दूरी वर्ग बल्कि अन्य वर्ग में भी करना चाहिए। इससे अधिक प्वाइंट मिलेंगे और सीट मिलने की संभावना बढ़ेगी।

एलूमनी के मानक बनाने पर स्कूलों को छूट: निदेशालय ने साफ किया है कि स्कूल पैरेंट्स एलूमनी वर्ग के मानक खुद से बना सकते हैं लेकिन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। इसके अलावा इंटरनेशनल ट्रांसफर की स्थिति में इंटरस्टेट ट्रांसफर का नियम लागू होगा।

साकेत के रेड रोज स्कूल में भी फॉर्म की किल्लत सामने आई। आलम यह था कि यहां करीब 12.30 बजे ही ईडब्ल्यूएस कोटे की बिक्री बंद कर दी गई। स्कूल में आवेदन फॉर्म लेने आई एक अभिभावक रीता ने बताया कि अभी कुछ समय पहले तक फॉर्म मिल रहा था लेकिन अब गेट से अंदर ही नहीं जाने दिया जा रहा है। हमें कल आने को कहा गया है। बुधवार को हेल्पलाइन पर भी फोन भी किया था लेकिन फोन व्यस्त होने की वजह से हमारी शिकायत नहीं दर्ज की जा सकी। साकेत के आसपास के कई स्कूलों का यही हाल है। पिछले दो दिन से यहां फॉर्म काउंटर के खुलने के घंटे भर बाद ही खत्म हो जा रहे हैं। स्कूल प्रशासन पर्याप्त फॉर्म नहीं रख रहा है।

कहीं तीन माह का रेंट एग्रीमेंट मांग रहे स्कूल
दूरी वर्ग में ज्यादा पंजीकरण होने से स्कूल परेशान हैं। ऐसे में वे नई-नई शर्तें रख रहे हैं। वे किराये पर रहने वाले अभिभावकों से न्यूनतम तीन माह का रेंट एग्रीमेंट मांग रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ स्कूल अभिभावकों का व्यवहार जानने के लिए उनके दस पड़ोसियों से हस्ताक्षर भी ले रहे हैं।

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