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जीत के उस जज़्बे को सलाम

विश्व-कप में भारत की ऐतिहासिक जीत की रात जयंती एक तरह से भारत समेत पूर एशिया की मनोवैज्ञानिक मुक्ित का समारोह है। कपिलदेव की टीम ने 1में विश्व-कप ही नहीं हथियाया, आने वाले सालों में पाकिस्तान और...

 जीत के उस जज़्बे को सलाम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विश्व-कप में भारत की ऐतिहासिक जीत की रात जयंती एक तरह से भारत समेत पूर एशिया की मनोवैज्ञानिक मुक्ित का समारोह है। कपिलदेव की टीम ने 1में विश्व-कप ही नहीं हथियाया, आने वाले सालों में पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमों में भी जीत का एक नायाब जज्बा पैदा कर दिया। इसके बाद एशिया के युवा ने क्रिकेट के मैदान में पीछे मुड़ कर नहीं देखा चिरौरी और आतंकभरी नजरों से गोर खिलाड़ियों की ओर नहीं ताका और उसने आत्मविश्वास के डायनामो ने खिलाड़ियों की अगली युवा पीढ़ी की मानसिकता और उनके जीवन की दशा-दिशा एकदम बदल डाली। फिर आया 2007 में क्रिकेट का नया इक्कीसवीं सदी का अवतार : ‘ट्वेंटी-ट्वेंटी’।़ और एक बार फिर भारतीय टीम ने इस नए क्रिकेट के पहले ही टूर्नामेंट में धमाकेदार विजयश्री हासिल की। धन तो 1े बाद इस खेल में बरसना शुरू हो ही चुका था, अब तो बाकायदा झड़ी लग गई। देखते देखते इंग्लैण्ड-आस्ट्रेलिया और विंडीा के खिलाड़ियों का आतंक और दबदबा मिट चला, और गला फाड़ कर युवा दर्शकों ने टीम से कहा : ‘चक दे इंडिया।’ड्ढr ड्ढr आज जब क्रिकेट पूर देश का चहेता खेल और एक भारी कमाई देने वाला व्यवसाय बन गया है समारोह की घड़ियों में तनिक रुक कर दो-तीन बातों पर गौर करना अच्छा होगा। पहली तो यह, कि आज क्रिकेट में पैसा भले ही भरपूर आ गया हो, लेकिन सिर्फ पैसे से ही जीत का जज्बा नहीं बनता। आज पहली ही बार जीतने वाले नए खिलाड़ी तुरंत करोड़पति बन रहे हैं। पर कपिलदेव की टीम की जीत की घड़ी में बोर्ड-प्रमुख एन.के.पी.साल्वे पुरस्कार के लिए बमुश्किल एक लाख जुटाने की बात कह रहे थे। इससे उस जीत का महत्व और उस बोर्ड तथा टीम का गौरव कम तो नहीं हुआ। इसलिए सिर्फ पैसे की तराजू पर खेल को तौलना सही नहीं है। दूसरी बात यह, कि क्रिकेट के चरमोत्कर्ष के इन जनूनी क्षणों में खेल-प्रशासकों तथा खेलप्रेमियों को अब भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी समेत अन्य खेलों की दशा सुधारने के लिए भी प्रयत्नशील होना होगा। अभी हाल में भारतीय महिला हॉकी टीम एयरपोर्ट से लखनऊ पहुॅंची तो आटो-रिक्शा में लद फद कर। एक बस तक उसे मयस्सर न हो पाई।ड्ढr ड्ढr पुरुष हॉकी टीम को भी विजय के लिए सतत राष्ट्रीय पीठ-थपथपाई और जनता द्वारा हौसला-अफााई की दरकार रही है। खेलों के संदर्भ में यह भी गौरतलब है, कि हमार खेल-स्टेडियम, प्रशिक्षण व्यवस्था और चोटिल तथा वयोवृद्ध खिलाड़ियों की समुचित देखभाल व्यवस्था के हाल भी बहुत अच्छे नहीं। उम्मीद है, विश्व कप विजय के रात-ायंती वर्ष में खेलों और खिलाड़ियों पर समग्रता से ध्यान फोकस होगा और स्वस्थ पहल देखने को मिलेगी।ड्ढr ड्ढr दुनिया के सबसे युवा देश को एक सार्थक महाशक्ित बनाने लायक दिल-ािगर और दिमाग तभी मिल पाएंगे जब हमार यहॉं के दर्शक और खिलाड़ी सब सिर्फ और सिर्फ पैसे और क्रिकेट से थोड़ा और आगे बढ़ कर, टीम स्पिरिट और स्पोर्ट्समैनशिप जसे स्वस्थ सिद्धांतों को भी अंगीकार करंगे। उन जादुई पलों की याद दिलाती शामड्ढr सुनील गावसकर एक शताब्दी से भी अधिक समय से हर साल लॉर्डस के लांग रूम में आईसीसी की वार्षिक कांफ्रेंस होती आ रही है। इस कांफ्रेंस में कई मीटिंग होती हैं, इनमें से एक होती है चीफ एक्ाीक्यूटिवों की मीटिंग। पिछले साल इसी समय चीफ एक्ाीक्यूटिवों की मीटिंग के बाद मैं आयोजन स्थल, जो लांग रूम के साथ ही है, से जा रहा था तो शाम के चैरिटी डिनर के लिए टेबल प्लान पर मेरी नजर पड़ी। पूरी सूची पढ़ने के बाद मैंने पाया कि कुछ मशहूर नाम हैं जो डिनर में शामिल होंगे। मैंने तारीख चेक की तो पाया कि यह तो उसी समय है जब भारत ने 24 साल पहले विश्व कप जीता था। इससे मुझे लगा कि उस शानदार जीत की सिल्वर जुबली उस जगह के लांग रूम में डिनर के साथ मनाने का मजा ही अलग होगा जहां हम चैंपियन बने थे। यह पता लगाने में कुछ दिन लग गए थे कि कहीं उस दिन वहां कोई टेस्ट मैच, एकदिवसीय मैच या कोई काउंटी का मैच तो नहीं है। क्योंकि ऐसा होने पर लांग रूम उपलब्ध नहीं हो पाता। सौभाग्यवश उस दिन कोई मैच तय नहीं था और एमसीसी का सदस्य होने के नाते मैंने तुरंत ही रूम बुक कर दिया। मैं चाहता था कि उस टीम का फिर से मिलन हो जिसने दुनिया को चौंकाते हुए भारतीय क्रिकेट को देखे जाने वाले नजरिए को ही बदल कर रख दिया था। जब मैंने इस बार में विजय माल्य को बताया तो उन्होंने कहा, यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक महान दिन था और वह इस बात को सुनिश्चित करंगे कि उनकी कंपनी इसे ढंग से मनाएगी।ड्ढr ड्ढr इस आश्वासन के बाद कुछ करने के लिए रह ही नहीं गया था। बस वहां जाना और एंजॉय करना था। बुधवार की रात टीम यही करने जा रही है। यह एक यादगार शाम होगी, क्योंकि यह हमें पुरानी यादों पर ले जाएगी और हम उन क्षणों को फिर से जी सकेंगे जिन्होंने हमारी जिंदगी को बदल कर रख दिया था और देश के खेल प्रेमियों ने जो प्यार हमें दिया था। हमार लिये यह एक महान पुरस्कार था। कोई भी धनराशि लोगों का प्यार नहीं खरीद सकती। जब लोग मैचों को याद करते हैं तो उनके चेहरों पर जो मुस्कुराहट होती है उसकी कोई कीमन नहीं हो सकती। इस बात पर हम नतमस्तक हो जाते हैं कि जो लोग हमें जानते भी नहीं वे हमार लिए प्रार्थना कर रहे थे।ड्ढr ड्ढr आज भी, जब कभी हाईलाइट्स दिखाई जाती हैं तो दिमाग उस गेंद के बार में घूम जाता है जिसपर बलविंदर संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को बोल्ड किया था और जो कैच कपिल देव ने विवियन रिचर्डस को आउट करने के लिए लपका था। रिचर्डस उस समय मैच को जल्दी से खत्म करते दिखाई दे रहे थे। लोग उस कैच के बार में ज्यादा बात नहीं करते हैं जो सैयद किरमानी ने बैकस को आउट करने के लिए लपका था। वह निचलेक्रम के बल्लेबाजों के साथ पार्टनरशिप करते दिखाई दे रहे थे। इसके अलावा जिमी अमरनाथ कि स्विंग जिसने जफ डुाों और मैल्कम मार्शल को आउट करने के बाद माइकल होल्डिंग को एलबीडब्ल्यू किया था। होल्डिंग के पैड से टकराने के बाद जब गेंद निकली तो मैं लेग बाई बचाने के लिए उसकी तरफ दौड़ा था। तभी डिकी बर्ड ने उंगली उठा दी, मैंने अपनी जिंदगी की सबसे तेज स्प्रिंट ड्रेसिंग रूम की तरफ लगाई। तब मेरी जेब में रखी गेंद आज सबसे कीमती क्रिकेट वस्तु के रूप में मेर पासा है। हमने जब ग्रीन पिच पर बल्लेबाजी की थी तो गेंद मुश्किल से बैट पर आ रही थी। मुझे याद है कि लेग बाई का एक रन लेते हुए जब मैं उस जोए गार्नर की तरफ बढ़ा था जिसके साथ 10 में समरसेट के लिए काउंटी क्रिकेट खेलते हुए मैंने फ्लैट शेयर किया था, से मैंने कहा - क्या अपने फ्लैटमेट के लिए हॉफवॉली फेंकने का इरादा है? उनकी मशहूर मुस्कुराहट के साथ जवाब मिला - नो मान, यह विश्व कप का फाइनल है। झ्र जिमी ने वो हिम्मत और ताकत दिखाई जो वह पूर वर्ष दिखाते रहे थे। उन्होंने वेस्टइंडीा की पेस बैटरी के खिलाफ जोरदार बल्लेबाजी की थी।ड्ढr ड्ढr यशपाल शर्मा और कपिल देव ने लैरी गोम्स की स्पिन का फायदा उठाया, क्योंकि वही एकमात्र गेंदबाज थे जिन पर रन बनाए जा सकते थे। इसके बाद संधू ने कवरड्राइव पर चौका मारा और किरी ने भी वैसी ही स्प्रिट दिखाई। मर्शल की संधू के हेल्मेट पर मारी बाउंसर ने कुछ चेहरों पर मुस्कुराहट पैदा की लेकिन साथ ही यह संदेश भी दे दिया कि यहां एक ऐसा गेंदबाज है जो टीम के लिए कुछ कीमती रन जोड़ने वालों को गंभीर चोट पहुंचा सकता है। ड्रेसिंग रूम छोड़ने से पहले कपिल देव ने कहा झ्र हमें छोटे स्कोर की रक्षा करनी है और अपनी पूरी ताकत इसके लिए झोंकनी है। हमने ऐसा किया और जो हुआ वह इतिहास है।

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