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निजी स्कूलों को साख गिरावट की चिंता

नर्सरी और प्री-प्राइमरी कक्षा में दाखिले के लिए जारी दिशा-निर्देशों का विरोध कर रहे निजी स्कूल अपनी साख बनाए रखने के लिए अपने मापदंडों के अनुसार बच्चों को दाखिला देना चाहते हैं। निजी स्कूलों ने...

निजी स्कूलों को साख गिरावट की चिंता
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Jan 2014 11:33 AM
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नर्सरी और प्री-प्राइमरी कक्षा में दाखिले के लिए जारी दिशा-निर्देशों का विरोध कर रहे निजी स्कूल अपनी साख बनाए रखने के लिए अपने मापदंडों के अनुसार बच्चों को दाखिला देना चाहते हैं। निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट में कहा कि सरकार ने दाखिले के लिए उनसे पसंद के बच्चों को चुनने का अधिकार छीन लिया है। इससे उनकी साख प्रभावित हो सकती है।

चीफ जस्टिस एन. वी. रमन और जस्टिस राजीव सहाय एंडालॉ की खंडपीठ के समक्ष स्कूलों ने साख प्रभावित होने की दलील तब दी जब उनसे यह बताने के लिए कहा गया कि दाखिला ‘ए’ बच्चे को मिले या ‘बी’ को इससे फर्क क्या पड़ता है। पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता एन. के. कौल ने इसे स्वायतत्ता पर हमला बताते हुए दिशा-निर्देश पर रोक लगाने की मांग की।

उन्होंने कहा है कि राजधानी में स्कूलों का समान वितरण नहीं हुआ है और इस वजह से कई इलाकों में अच्छे स्कूल नहीं हैं। ऐसे में सभी वर्ग के बच्चों का दाखिला नहीं मिल पाएगा। इससे न सिर्फ शिक्षा प्रभावित होगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक संतुलन भी बिगड़ेगा। कौल ने दाखिले के लिए 8 किलोमीटर (स्कूल से घर की दूरी) के लिए सबसे अधिक 70 अंक दिए जाने का विरोध करते हुए इसे कई इलाकों के बच्चों को दाखिला नहीं मिल पाएगा।

कौल ने कहा कि उप राज्यपाल द्वारा जारी दिशा-निर्देश को कैबिनेट की मंजूरी नहीं है। प्रबंधन कोटा समाप्त करने को स्कूलों की स्वायतत्ता के खिलाफ बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार जब आई.पी. विश्वविद्यालय में प्रबंधन कोटा दे रही है तो स्कूलों में कैसे समाप्त कर सकती है।

स्कूलों को मुनाफा कमाने की इजाजत नहीं: सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन अधिनियम के नियम 50 (2) का हवाला देते हुए कहा कि स्कूल को मान्यता इसी शर्त पर दी जाती है कि वह पड़ोस के बच्चों को दाखिला देंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मान्यता इस शर्त पर दी जाती है कि स्कूल मुनाफा नहीं कमाएंगे।

एलजी ने हाईकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर ही दिशा-निर्देश बनाया है। साथ ही कहा कि जहां तक गांगुली कमेटी की सिफारिशों का सवाल है तो शिक्षा के अधिकार कानून आने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं। स्कूलों को एक बच्चे की दूसरे से तुलना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती हैं। इस निदेर्श को कैबिनेट मंजूरी को जरूरत नहीं है।

एल्यूमनाई का विरोध
गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और खगेश झा ने सिबलिंग और एल्यूमनाई के तहत क्रमश: 20 और 5 अंक दिए जाने का विरोध किया और खत्म करने की मांग की। उन्होंने हाईकोर्ट से स्कूलों की याचिका को रद्द करने की भी मांग की।

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