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टेस्ट में लागू हो सकता है टू टियर सिस्टम

क्रिकेट के शास्त्रीय प्रारूप माने जाने वाले टेस्ट के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) टेस्ट टीमों को उनके प्रदर्शन के आधार पर दो श्रेणियों में बांटने पर विचार कर रही...

टेस्ट में लागू हो सकता है टू टियर सिस्टम
एजेंसीWed, 15 Jan 2014 03:29 PM
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क्रिकेट के शास्त्रीय प्रारूप माने जाने वाले टेस्ट के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) टेस्ट टीमों को उनके प्रदर्शन के आधार पर दो श्रेणियों में बांटने पर विचार कर रही है। इस योजना के तहत अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीमों का दर्जा बढ़ा दिया जाएगा जबकि खराब प्रदर्शन करने वाली टीमों का दर्जा घटा दिया जाएगा।
       
आईसीसी के कार्यकारी बोर्ड की इस महीने के अंत में बैठक होनी है और माना जा रहा है कि इसमें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की योजना को तिलांजलि देने की घोषणा की जा सकती है। इस चैंपियनशिप को 2013 में शुरू होना था लेकिन इसे पिछले साल अक्टूबर में 2017 तक के लिए टाल दिया गया था। प्रसारकों ने इस चैंपियनशिप में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है और न ही इसके प्रारूप पर अभी तक कोई बात बन पाई है।
       
क्रिकइंफो के मुताबिक दुनिया के क्रिकेट बोर्ड भी आईसीसी की प्रमोशन/रेलिगेशन योजना को मंजूरी दे सकते हैं। इससे आयरलैंड और अफगानिस्तान जैसी टीमों को टेस्ट खेलने का मौका मिल सकता है जबकि जिम्बाब्वे और बंगलादेश से यह दर्जा छिन सकता है।
       
माना जा रहा है कि आईसीसी के मौजूदा पूर्णकालिक सदस्यों सेटेस्ट का दर्जा नहीं छीना जाएगा लेकिन एसोसिएट सदस्य निचले रैंक के पूर्णकालिक सदस्यों के खिलाफ अपने प्रदर्शन के आधार पर टेस्ट टीम का दर्जा पा सकते हैं। इससे टेस्ट में अपना प्रदर्शन सुधारने में लगी निचले रैंक की टीमों को मदद मिलेगी और एसोसिएट टीमों को भी टेस्ट खेलने का मौका मिलेगा।
       
टीमों का प्रमोशन और रेलिगेशन कैसे किया जाएगा इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि टेस्ट दर्जे के लिए हर चार साल में एक प्लेऑफ टूर्नामेंट के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। टेस्ट क्रिकेट को दो श्रेणियों में बांटने पर पिछले कुछ समय से विचार चल रहा है और कई जानकारों ने इस पर अपनी राय व्यक्त की है। 
       
पिछले साल इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने इसकी वकालत करते हुए कहा था कि इससे टेस्ट क्रिकेट में खिलाड़ियों की भी दिलचस्पी बढ़ेगी और वह आईपीएल जैसी लीग से जुड़ने के बजाए देश को वरीयता देंगे।
       
उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए कि न्यूजीलैंड को इंग्लैंड के साथ खेलना है और फर्स्ट डिवीजन में बने रहने या फिर इसमें आने के लिए तीन मैचों में से केवल एक मैच जीतने की जरूरत है। अगर फर्स्ट डिवीजन में खेल रहे खिलाड़ियों को फुटबॉल के प्रीमियर लीग की तरह उचित मेहनताना मिलता है तो वे आईपीएल में खेलने से परहेज करेंगे।
       
प्रमोशन और रेलिगेशन के अलावा आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पोजीशन पाने वाली टीम को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है। अभी वार्षिक आधार पर टेस्ट चैंपियनशिप की गदा दी जाती है। साथ ही टीमों के एकदूसरे के खिलाफ नियमित आधार पर खेलने की अनिवार्यता में भी छूट दी जा सकती है।
       
हालांकि पहले ही कई टीमें भविष्य दौरा कार्यक्रम के आधार पर नहीं चल रही हैं। आधिकारिक कार्यक्रम के इतर टीमें द्विपक्षीय कार्यक्रम बना रही हैं। भारत ने हाल में दक्षिण अफ्रीका दौरे का कार्यक्रम घटा दिया था और वेस्टइंडीज के साथ घरेलू सीरीज आयोजित की थी। इसी तरह हाल ही में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ को घटाकर दो मैचों तक सीमित कर दिया गया था।
       
आईसीसी वनडे में पहले ही प्रमोशन और रेलिगेशन की योजना को हरी झंडी दे चुकी है। यह योजना 2019 के विश्वकप के बाद अस्तित्व में आएगी। 

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