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बीमा क्षेत्र की मध्यस्थ संस्थाओं में एफडीआई बढ़ाने पर समिति

बीमा क्षेत्र नियामक इरडा ने एक समिति गठित की है जो इस क्षेत्र की मध्यस्थ फर्मों तथा टीपीए में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की संभावना पर विचार करेगी। इरडा ने आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा...

बीमा क्षेत्र की मध्यस्थ संस्थाओं में एफडीआई बढ़ाने पर समिति
एजेंसीSun, 12 Jan 2014 05:18 PM
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बीमा क्षेत्र नियामक इरडा ने एक समिति गठित की है जो इस क्षेत्र की मध्यस्थ फर्मों तथा टीपीए में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की संभावना पर विचार करेगी। इरडा ने आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा समिति बीमा मध्यस्थों और टीपीए में एफडीआई बढ़ाने का मामले पर विचार करेगी और इस संबंध में आगे की कार्रवाई की सिफारिश करेगी।

समिति बीमा इकाइयों (बीमा कंपनियों के अलावा) एफडीआई सीमा बढ़ाने, उद्योग पर एफडीआई बढ़ाने के असर और अन्य मुद्दों पर विचार करेगी। समिति यह भी पता लगाएगी कि यदि इन मध्यस्थों में एफडीआई सीमा बढ़ाई जा सकती है तो कितनी बढ़ाई जा सकती है। समिति इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय मानकों का अध्ययन करेगी।

मौजूदा मानदंड के मुताबिक किसी बीमा कंपनी में विदेशी कंपनी की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। बीमा मध्यस्थों के मामले में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा निश्चित नहीं है। हालांकि बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार (इरडा) ने बीमा कंपनी और टीपीए के मामले में विदेशी कंपनी को की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक सीमित रखा है।

इरडा ने कहा कि उसे विभिन्न संबद्ध पक्षों से बीमा ब्रोकर इकाइयों में विदेशी निवेश की सीमा मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मांग होती रही है क्योंकि इसके लिए बीमा अधिनियम में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, लेकिन बीमा मध्यस्थ और टीपीए में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए बीमा अधिनियम में सुधार की जरूरत होगी।

बीमा विधेयक जिसमें बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की मांग की गई है, 2008 से राज्य सभा में लंबित है।

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