मुजफ्फरनगर मामले में मुकदमा वापस नहीं: अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी मुस्लिम नेताओं से मुकदमे वापस लेने के मामले पर कहा कि इस मामले में सिर्फ जानकारी मांगी गई है और इसका मतलब मुकदमा वापस लेना नहीं...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी मुस्लिम नेताओं से मुकदमे वापस लेने के मामले पर कहा कि इस मामले में सिर्फ जानकारी मांगी गई है और इसका मतलब मुकदमा वापस लेना नहीं है।
मुख्यमंत्री ने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से मुजफ्फरनगर दंगों के मुस्लिम आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की तैयारियों सम्बन्धी सवाल पर कहा कि ये ना तो समाजवादी पार्टी का फैसला है और ना ही हमारा फैसला है। न्याय विभाग ने कुछ जानकारी मांगी है। जानकारी मांगने का मतलब मामला वापस करना नहीं होता। मैं जानकारी कर लूंगा कि क्या जानकारी मांगी गयी है।
गौरतलब है कि राज्य के गह विभाग के विशेष सचिव रंगनाथ पाण्डेय ने मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बसपा सांसद कादिर राणा के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के सिलसिले में गत 20 दिसंबर को मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को पत्र लिखा था। इस पत्र में राणा आदि पर दर्ज मुकदमों की वापसी पर जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक की राय मांगी गयी है।
पिछले सात सात सितम्बर को मुजफ्फरनगर में भड़के दंगों के मामले में राणा समेत 41 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। फैजाबाद, औरैया और कानपुर में पथकर मांगने पर टोल प्लाजाकर्मियों के साथ सपा कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि उन मामलों में कार्रवाई हुई है। एक गनर को निलम्बित किया गया है। दो लोग पकड़े गये हैं, जो भी लोग गलती करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अपने काफिले में कटौती करने सम्बन्धी सवाल पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि हर पद की गरिमा होती है और उसके हिसाब से ही सुरक्षा होनी चाहिये। यह केवल पद के लिये ही नहीं बल्कि जनता की सुरक्षा के लिये भी होती है।
उन्होंने कहा कि हमने अपने काफिले से कारें कम कर दी हैं। पहले जितनी थी उससे बहुत कम कर दी। सुरक्षा तय करना गह विभाग का काम है। प्रदेश में बिजली की कीमतों में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि गांवों को भी बिजली मिले और उद्योगों को भी। सभी को मालूम है कि पिछली सरकार ने विद्युत विभाग को 35 हजार करोड़ के घाटे का महकमा बना दिया था और कोई भी बैंक कर्ज नहीं देना चाहता था। सपा ने सत्ता में आते ही फैसला लेकर काम शुरू किया।