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मुशर्रफ की विदेश यात्रा रोकने से जुड़ी याचिका खारिज

पाकिस्तान की एक अदालत ने सोमवार को देश के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के इलाज के लिए उनकी संभावित विदेश यात्रा पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि मुशर्रफ अदालत से...

मुशर्रफ की विदेश यात्रा रोकने से जुड़ी याचिका खारिज
एजेंसीMon, 06 Jan 2014 03:12 PM
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पाकिस्तान की एक अदालत ने सोमवार को देश के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के इलाज के लिए उनकी संभावित विदेश यात्रा पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि मुशर्रफ अदालत से मंजूरी लिए बिना देश से बाहर नहीं जा सकते।

याचिका खारिज करते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश शौकत अजीज ने कहा कि मुशर्रफ की पेशी सुनिश्चित करना उन अदालतों की जिम्मेदारी है, जिसने उन्हें जमानत दी है। उन्होंने कहा कि 70 वर्षीय मुशर्रफ अदालत की मंजूरी के बिना देश से बाहर नहीं जा सकते।

न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि हाईकोर्ट मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मामले की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के न्याय क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। मुशर्रफ देश से बाहर ना जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए गत तीन जनवरी को लाल मजिस्द के शुहदा फाउंडेशन ऑफ पाकिस्तान ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी।

फाउंडेशन उन लोगों की प्रतिनिधि संस्था है जो 2007 में इस्लामाबाद में हुए सैन्य अभियान में मारे गए थे। इस बीच मुशर्रफ आज विशेष अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए।
 उनके वकील अहमद रजा कसूरी ने कल कहा था कि मुशर्रफ बीमार हैं जिस वजह से वह अदालत में पेश नहीं हो पाएंगे।

वर्ष 1999 में करगिल युद्ध की योजना बनाने और एक रक्तहीन तख्तापलट को अंजाम देने वाले मुशर्रफ को दो जनवरी को अदालत जाते समय रास्ते में दिल का हल्का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें रावलपिंडी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पूर्व सैन्य तानाशाह पर संविधान को निलंबित करने, नवंबर 2007 में देश में आपालकाल लागू करने और शीर्ष अदालतों के न्यायाधीशों को हिरासत में लेने के लिए देशद्रोह का मामला चल रहा है। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व सैन्य शासक पर देशद्रोह का मामला चल रहा है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें आजीवन कारावास की या मौत की सजा मिल सकती है।

ऐसी अटकलें तेज हैं कि मुशर्रफ को इलाज के लिए विदेश ले जाया जा सकता है। उनके विरोधियों का मानना है कि सेना मुशर्रफ का समर्थन कर रही है। हालांकि सैन्य बलों ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन नहीं किया है।

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