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हैकरों से सुरक्षित है क्लाउड कंप्यूटिंग

कई लोगों की धारणा के विपरीत क्लाउड कंप्यूटिंग नेटवर्क की सुरक्षा पुख्ता है। जानकारों के मुताबिक यह मानने का कोई मजबूत आधार नहीं है कि स्थानीय नेटवर्क के मुकाबले क्लाउड नेटवर्क की सुरक्षा कमजोर हो...

हैकरों से सुरक्षित है क्लाउड कंप्यूटिंग
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 06 Jan 2014 01:49 PM
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कई लोगों की धारणा के विपरीत क्लाउड कंप्यूटिंग नेटवर्क की सुरक्षा पुख्ता है। जानकारों के मुताबिक यह मानने का कोई मजबूत आधार नहीं है कि स्थानीय नेटवर्क के मुकाबले क्लाउड नेटवर्क की सुरक्षा कमजोर हो सकती है। वास्तव में क्लाउड कंप्यूटिंग को लेकर कई तरह के भ्रम हैं जिनकी वजह से लोग इसके बारे में सवाल उठाते रहे हैं। हाल में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी एनएसए द्वारा बड़े पैमाने पर कंप्यूटर आंकड़ों को इकट्ठा करने की जानकारी मिलने के बाद ऐसे सवालों में और बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि वर्ष 2011 के एक सर्वे में खुलासा हुआ था कि कंप्यूटिंग सेवा का इस्तेमाल न करने वाली 90 फीसदी कंपनियां हैकिंग की शिकार हुईं।

क्लाउड कंप्यूटिंग
इंटरनेट की मदद से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक वास्तिविक समय में होने वाले संचार को क्लाउड कंप्यूटिंग कहते हैं। इसका मतलब है कि अलग-अलग हार्ड वेयर में डाटा को जमा करने की बजाए एक जगह पर वृहद पैमाने पर डाटा इकट्ठा होता है और इंटरनेट की मदद से इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।

लोग मानते हैं सनक
कुछ वर्षों से ‘द क्लाउड’ की व्यावसायिक संभावनाओं की चर्चा होने लगी है। हालांकि इस विचार ने 1999 में तब मूर्त रूप लिया जब सेल्सफोर्स डॉट कॉम ने इंटरनेट पर एप्लीकेशन बेचना शुरू किया। अमेजन ने भी वर्ष 2002 में क्लाउड आधारित सेवा की शुरुआत की। भविष्य में इसकी उपयोगिता को देखते हुए कंपनियां आने वाले चार साल में करीब 788 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही हैं। लेकिन लोगों का एक बड़ा हिस्सा इसको घाटे का सौदा करार दे रहा है। 

सुरक्षा पर भी उठते रहे सवाल
कई लोग मानते हैं कि स्थानीय नेटवर्क के मुकाबले क्लाउड नेटवर्क की सुरक्षा पुख्ता नहीं है। अधिक मात्रा में डाटा होने की वजह से हैकरों की नजर भी इनपर होती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि बड़ा नेटवर्क होने की वजह से इसकों संचालित करने वाले सुरक्षा पर भी अधिक ध्यान देते हैं। सुरक्षा पर उनका निवेश अधिक है। वर्ष 2011 के सर्वे में खुलासा हुआ कि कंप्यूटिंग सेवा का इस्तेमाल न करने वाली 90 फीसदी कंपनिया हैकिंग की शिकार हुईं।

पर्यावरण के लिए घातक
ग्रीन पीस जैसे संगठनों का आरोप है कि क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत इकट्ठा आंकड़ों को सुरक्षित रखने में भारी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। लेकिन लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी और नार्थवेर्स्टन यूनिवर्सिटी के संयुक्त शोध में साबित हुआ है कि अमेरिकी कंपनियों द्वारा अपने आंकड़े क्लाउड पर डाले से जाने से कंप्यूटिंग ऊर्जा फुटप्रिंट में 87 फीसदी की कमी आई है। पाइक रिसर्च के मुताबिक क्लाउड कंप्यूटिंग से वर्ष 2020 तक वैश्विक डाटा सेंटर में इस्तेमाल ऊर्जा की मात्रा में एक तिहाई तक कमी लाई जा सकेगी।                 

कितना भरोसेमंद
एक संदेह क्लाउड नेटवर्क की विश्वसनीयता को लेकर है। पिछले साल लगातार पांच दिनों तक याहू से ईमेल भेजने में समस्या आई। अक्तूबर 2013 में अमेजन डॉट कॉम की सेवाएं कई घंटों तक बाधित रहीं। इस आधार पर कई लोग दावा करते हैं कि क्लाउड नेटवर्क भरोसेमंद नहीं है। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट की मानें तो ऐसी समस्याएं आम नेटवर्क में भी आ सकती हैं। वास्तव में क्लाउड की सेवाएं बेहतर हैं वह ऐसी समस्याओं को दूर करने में अपेक्षाकृत कम समय लगाती है।

75%  फीसदी कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर रही हैं अपने आंकड़ों के लिए

आधी आबादी को जानकारी नहीं
वर्ष 2012 में सिट्रिक्स नामक कंपनी ने क्लाउड कंप्यूटिंग का सर्वे किया था। इसके मुताबिक :

51% अमेरिकी मानते हैं कि तूफानी मौसम में बादल के हस्तक्षेप को क्लाउड कंप्यूटिंग कहते हैं
54% ने कहा कि इसका वे कभी इस्तेमाल नहीं करते
95% लोगों ने वास्तव में क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया था

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