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क्रिसमस: कारोबार और संदेश

ऐसे कई देश हैं, जहां ईसाइयों की तादाद कम है, फिर भी वहां क्रिसमस के सभी भाव नजर आते हैं। जैसे, उपहारों और बधाई संदेशों का आदान-प्रदान। वगैरह। क्रिसमस दुनिया भर में मनाया जाने वाला धार्मिक त्योहार है।...

क्रिसमस: कारोबार और संदेश
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 24 Dec 2013 07:46 PM
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ऐसे कई देश हैं, जहां ईसाइयों की तादाद कम है, फिर भी वहां क्रिसमस के सभी भाव नजर आते हैं। जैसे, उपहारों और बधाई संदेशों का आदान-प्रदान। वगैरह। क्रिसमस दुनिया भर में मनाया जाने वाला धार्मिक त्योहार है। हालांकि, कई जगहों पर धर्म कम और कारोबार ज्यादा दिखता है। कई बार सांता क्लॉज की फंतासियों में इस त्योहार का असली अर्थ छिप जाता है। यह तारीख बताती है कि मानवता के लिए मसीहा इस धरती पर आते हैं। यह पक्का है कि दुनिया के कई हिस्सों में क्रिसमस का प्रचार-प्रसार व्यापारियों और शासन द्वारा हुआ है। यह उपभोक्तावादी संस्कृति को बढ़ावा देने का नया जरिया है। (इसी तरह हैलोवीन और वैलेंटाइन डे भी लोकप्रिय हो रहे हैं।) कई इस्लामी देशों में इसके भौतिकवादी पहलू हैं और इस्लामी प्रचारक इसकी निंदा करते हैं। कई बार तो इसका वास्तविक मतलब ही बिगड़ जाता है। लेकिन सब कुछ विशुद्ध सांसारिक या मुनाफे के मकसद से नहीं होता।

पाकिस्तान में, जहां ईसाई आबादी के दो प्रतिशत से भी कम हैं, मुस्लिम परिवार के लोग क्रिसमस गाने वालों का स्वागत करते हैं। भारत में क्रिसमस पर राजकीय अवकाश रहता है। कई स्कूलों में क्रिसमस मनाया जाता है और लोग पड़ोसियों में उपहार व मिठाइयां बांटते हैं। चीन में क्रिसमस को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दरअसल, 1990 के बाद से इस ‘पश्चिमी अवकाश’ पर कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण घटा है। ऐसे में, शहरी युवा इस दिन उपहार बांटते हैं, दोस्तों के साथ त्योहार मनाते हैं, अपने प्यार का इजहार करते हैं और वैवाहिक बंधन में बंधते हैं। क्रिसमस के आसपास दुकानों में सबसे अधिक बिक्री होती है। जब तक चीन के लोग सिर्फ इसके व्यावसायिक पहलू को देखते रहेंगे, तब तक सरकार को इसके धार्मिक अर्थ से कोई लेना-देना नहीं हो सकता। तब भी साल 2006 में एक छात्र संगठन ने ऑनलाइन अभियान की शुरुआत की, जिसमें क्रिसमस के बहिष्कार का आह्वान था। दावा किया गया था कि चीन की संस्कृति को नष्ट करने की यह पश्चिमी साजिश है। साफ है, व्यवसाय का विस्तार हुआ है, पर क्रिसमस का संदेश अब तक व्यवहार में नहीं आया है।
द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर, अमेरिका

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