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ऑस्ट्रेलिया हो या इंग्लैंड सभी बने रहे घर के शेर

कभी उपमहाद्वीप की टीमों को घर का शेर कहा जाता था लेकिन वर्ष 2013 में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों पर भी यह तमगा पूरी तरह से फिट हुआ, जिसे विश्व क्रिकेट में नए बदलाव के रूप में...

ऑस्ट्रेलिया हो या इंग्लैंड सभी बने रहे घर के शेर
एजेंसीTue, 24 Dec 2013 11:51 AM
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कभी उपमहाद्वीप की टीमों को घर का शेर कहा जाता था लेकिन वर्ष 2013 में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों पर भी यह तमगा पूरी तरह से फिट हुआ, जिसे विश्व क्रिकेट में नए बदलाव के रूप में देखा जा सकता है।

इस वर्ष अधिकतर टीमों ने अपनी घरेलू सरजमीं पर ही अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन विदेशी धरती पर वे फिसड्डी साबित हुई। अब ऑस्ट्रेलिया को ही ले लीजिए। कभी दुनिया भर में अपना दबदबा बनाए रखने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में अपनी धरती पर क्लीन स्वीप किया लेकिन भारत दौरे में वह चारों टेस्ट मैच हार गयी।

एशेज़ के लिए ऑस्ट्रेलिया जब इंग्लैंड गया तो वहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसने पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ 0-3 से गंवाया। वर्ष 2013 उन वर्षों में शामिल रहा जबकि एक साल में दो बार एशेज़ खेली गयी। इसलिए जब इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी तो परिणाम एकदम से पलट गया। अभी तक जो तीन मैच खेले गए हैं उन्हें ऑस्ट्रेलिया ने जीतकर एशेज़ वापस अपनी झोली में डाल दी है।

अब इंग्लैंड का किस्सा भी सुन लीजिए। न्यूजीलैंड दौरे में उसकी टीम बमुश्किल से सीरीज़ 0-0 से ड्रॉ करा पायी लेकिन जब कीवी टीम इंग्लैंड दौरे पर गयी तो एलिस्टेयर कुक की टीम ने उसे दोनों टेस्ट मैचों में करारी शिकस्त दी। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच की कहानी पहले ही बयां हो चुकी है।

दक्षिण अफ्रीका ने अपनी सरजमीं पर न्यूजीलैंड को 2-0 से और पाकिस्तान को 3-0 से क्लीन स्वीप किया। वह जब पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात में सीरीज़ खेलने गया तो तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ बमुश्किल 1-1 से ड्रॉ करा पाया।

पाकिस्तान का अपनी सरजमीं पर नहीं खेल पाने का दर्द 2013 में भी बदस्तूर जारी रहा और उसे यूएई में अपने मैच आयोजित करवाने पड़े। उसने दो सीरीज़ दक्षिण अफ्रीका से खेली। इसके अलावा उसकी टीम जिम्बाब्वे दौरे पर गयी जहां उसे एक टेस्ट मैच में हार झेलनी पड़ी थी। यह सीरीज़ 1-1 से बराबरी रही।

श्रीलंका ने भी ऑस्ट्रेलिया से हार की खुन्नस बांग्लादेश को अपनी सरजमीं पर 1-0 से जीत दर्ज करके निकाली। वेस्टइंडीज ने जिम्बाब्वे को अपनी सरजमीं पर टेस्ट सीरीज़ में 2-0 से पीटा लेकिन वह भारत और न्यूजीलैंड के दौरे में 0-2 के समान अंतर से टेस्ट सीरीज़ गंवा बैठा।

घर के शेर का यह तमगा न्यूजीलैंड पर भी लागू होता है। विदेशों में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड से करारी हार झेलने के बाद जब वह दो टेस्ट मैच खेलने के लिए बांग्लादेश दौरे पर गया तो वहां बमुश्किल मैच ड्रॉ करा पाया था। इसलिए सीरीज़ 0-0 से बराबर रही। वेस्टइंडीज पर वह अपने घर में हावी हो गया।

जिम्बाब्वे की टेस्ट क्रिकेट में वापसी सुखद रही। उसने पाकिस्तान को हरारे में 24 रन से हराकर सनसनी फैला दी थी। इसके बाद उसने बांग्लादेश से भी सीरीज़ 1-1 से ड्रॉ करायी थी।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अब तक इस साल सबसे अधिक छह-छह टेस्ट मैच जीते जबकि इंग्लैंड ने पांच और ऑस्ट्रेलिया ने चार टेस्ट मैच अपने नाम किये। ऑस्ट्रेलिया ने इस साल सर्वाधिक सात टेस्ट मैच गंवाए।

बांग्लादेश के नाम इस साल एक पारी में सर्वाधिक 638 रन बनाने का रिकॉर्ड रहा जो उसने श्रीलंका के खिलाफ गाले में बनाया था। दूसरी तरफ न्यूजीलैंड की टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में 45 रन पर ढ़ेर हो गयी थी। दक्षिण अफ्रीका ने इसके अलावा पाकिस्तानी टीम को भी दो बार (49 और 99) टेस्ट मैचों में 100 रन की संख्या को नहीं छूने दिया था।

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क इस साल 1000 टेस्ट रन बनाने वाले अकेले बल्लेबाज हैं। उन्होंने अब तक 1077 रन बनाए हैं। हालांकि इंग्लैंड के इयान बेल मेलबर्न में होने वाले चौथे एशेज़ टेस्ट मैच में 22 रन बनाकर इस क्लब में शामिल हो सकते हैं। इंग्लैंड के ही स्टुअर्ट ब्रॉड अब तक 59 विकेट लेकर गेंदबाजों की सूची में शीर्ष पर हैं।

यदि वनडे क्रिकेट की बात करें तो भारत की जमकर तूती बोली जिसने 34 में से 22 मैच जीते और केवल दस में उसे हार मिली। पाकिस्तान ने 32 मैच खेले जिसमें 15 में उसे जीत और इतने मैचों ही हार का सामना करना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया 24 मैचों में से 12 में जीत दर्ज करके वनडे में भी खास छाप नहीं छोड़ पाया जबकि इंग्लैंड का रिकॉर्ड दस जीत और इतनी ही हार का रहा।

दक्षिण अफ्रीका भी वनडे में टेस्ट जैसा कमाल नहीं दिखा पाया और उसे 14 मैच में जीत और 13 में हार मिली। श्रीलंका ने 13 मैच जीते और 12 गंवाए जबकि न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे का रिकॉर्ड नकारात्मक रहा।

इस साल कुल नौ बल्लेबाजों ने वनडे में 1000 से अधिक रन बनाए जिसमें पाकिस्तान के कप्तान मिसबाह उल हक 1322 रन बनाकर शीर्ष पर हैं। विकेटों के मामले में भी पाकिस्तान के सईद अजमल ने 56 विकेट लेकर चोटी पर काबिज रहे। भारत के रविंद्र जडेजा 52 विकेट के साथ दूसरे स्थान पर हैं।

बांग्लादेश प्रीमियर लीग में मैच फिक्सिंग का दाग भी इस साल क्रिकेट को झेलना पड़ा। बांग्लादेश के पूर्व कप्तान मोहम्मद अशरफुल ने बीपीएल के दौरान सट्टेबाजों के संपर्क में रहने की बात स्वीकार की।

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