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आदर्श घोटाला दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण: पृथ्वीराज चव्हाण

आदर्श सोसाइटी घोटाला प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने शनिवार को कहा कि जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करना राज्य मंत्रिमंडल का फैसला था। चव्हाण...

आदर्श घोटाला दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण: पृथ्वीराज चव्हाण
एजेंसीSat, 21 Dec 2013 11:09 PM
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आदर्श सोसाइटी घोटाला प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने शनिवार को कहा कि जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज करना राज्य मंत्रिमंडल का फैसला था।

चव्हाण ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह (आदर्श घोटाला) होना दुर्भाग्यपूर्ण था। समूचा प्रकरण जिस समय यह हुआ, से लेकर नेतृत्व परिवर्तन से लेकर, आयोग के समक्ष साक्ष्य एकत्र करने तक की समूची प्रक्रिया, सब दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण था। महाराष्ट्र सरकार ने कल आदर्श घोटाले पर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी थी। इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखा गया था जिसमें विधायी प्रावधानों का घोर उल्लंघन करने के लिए कांग्रेस के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं को दोषारोपित किया गया था।

हालांकि, उन्होंने इस बात का विवरण देने से इंकार कर दिया कि किस वजह से राज्य सरकार ने आदर्श सोसाइटी घोटाले की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला मंत्रिमंडल ने किया। इस रिपोर्ट में अशोक चव्हाण समेत चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को दोषारोपित किया गया है।

राज्य सरकार के संबंध में रिपोर्ट को खारिज करने के नतीजे के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि मैं नहीं जानता कि कैसे यह जारी रहेगा। जो कुछ भी हुआ है वह हुआ है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया था जिसमें आदर्श सोसाइटी घोटाले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था।

सूत्रों ने बताया, हालांकि, राज्य मंत्रिमंडल ने मसौदे को स्वीकार करने से मना कर दिया। इसकी जगह उन्होंने चार लाइन का एटीआर तैयार किया जिसमें कहा गया कि आदर्श जांच आयोग के शुरुआती दो निष्कर्षों को स्वीकार किया जाता है जबकि शेष को खारिज किया जाता है।

आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि राज्य सरकार की है और रक्षा मंत्रालय की नहीं है और न ही यह करगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं के लिए आरक्षित था।
 सूत्रों ने बताया कि जांच आयोग की रिपोर्ट को आठ महीने तक दबाकर रखा गया। सूत्रों ने बताया, (आयोग की रिपोर्ट को) सदन में उसी दिन रखा जा सकता था जिस दिन यह सरकार को मिली। कुछ अधिकारियों को आचार नियमों का उल्लंघन करने के लिए नामजद किया गया। पहले आपको उन फाइलों को हैंडल नहीं करना चाहिए जहां आपके व्यक्तिगत हित जुड़े हुए हैं। दूसरी बात, आपको फ्लैट के बारे में रिपोर्ट करना चाहिए।

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