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हार पर बोले मनमोहन, सरकार को दोष देना आसान है

विधानसभा चुनाव में करारी हार पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि इस पराजय का मतलब यह नहीं है कि हम 2014 के आम चुनाव के लिए निराश हो जायें।...

हार पर बोले मनमोहन, सरकार को दोष देना आसान है
एजेंसीWed, 18 Dec 2013 02:11 PM
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विधानसभा चुनाव में करारी हार पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि इस पराजय का मतलब यह नहीं है कि हम 2014 के आम चुनाव के लिए निराश हो जायें।
      
सिंह ने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि उनकी सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक सफलतापूर्वक ठीक से नहीं पहुंचाया जा सका। उन्होंने कटाक्ष करते हुये कहा कि जटिल मुद्दों को समझने के बजाय सरकार को दोष देना बहुत आसान होता है।
      
सिंह ने कहा कि हाल के विधानसभा चुनाव में बहुत से मुद्दे ऐसे हैं, जो आम चुनाव में भी मौजूद रहेंगे, लेकिन उनकी सरकार की पिछले साढ नौ साल की उपलब्धियों पर राष्ट्रीय जनादेश 2014 के आम चुनाव में ही सामने आयेगा। उन्होंने याद दिलाया कि 2003 में कभी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन 2004 के आम चुनाव में उसे पराजय का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बन गयी।
        
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब चार राज्यों में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद पार्टी के भीतर से सरकार और उनके नेतृत्व पर तीखे प्रहार हो रहे हैं। अनेक नेताओं ने महंगाई को भी अपनी पराजय का कारण बताया है।
     
इन आलोचनाओं का जवाब देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि बेशक महंगाई सरकार की एक कमजोरी है, लेकिन क्या यह सच नहीं है कि देश के लोगों की आमदनी महंगाई से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ी है। कमजोर नेतृत्व के आरोप के जवाब में सिंह ने कहा कि हम बहुत आसानी से नेतृत्व की कमजोरी और अनिर्णय की स्थिति की बात कर लेते हैं, लेकिन कोई यह नहीं सोचता कि नेतृत्व का उपयोग कया है और निर्णय किस बात के लिए लेने हैं। 
    
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार ग्रामीण विकास, अर्थव्यवस्था की प्रगति और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उठाये गये कदमों को लोगों के सामने कारगर ढंग से पेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर उनकी सरकार की इस बात के लिए आलोचना होती है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए हमने कुछ नहीं किया, जबकि सच्चाई यह है कि जितने कदम हमने उठाये उतने किसी और ने नहीं उठाये।

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