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शिक्षा, अनुसंधान में ज्यादा निवेश की जरूरत: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में अत्याधिक निवेश की जरूरत है ताकि दुनिया में आधुनिक अर्थव्यवस्था के तौर पर सही जगह हासिल की जा सके। देश के 25 प्रतिष्ठित लोगों...

शिक्षा, अनुसंधान में ज्यादा निवेश की जरूरत: राष्ट्रपति
एजेंसीSat, 14 Dec 2013 11:33 PM
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में अत्याधिक निवेश की जरूरत है ताकि दुनिया में आधुनिक अर्थव्यवस्था के तौर पर सही जगह हासिल की जा सके। देश के 25 प्रतिष्ठित लोगों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एनडीटीवी के पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को आधुनिक अर्थव्यवस्था के तौर पर देशों के समूह में सही जगह प्राप्त करना चाहिए।

एनडीटीवी के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में प्रणब ने कहा कि लेकिन अगर हम यह हासिल करना चाहते हैं तो हमें उसी समय इस तथ्य को भी पहचानना चाहिए कि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में आगे बढ़े बिना हम उसे हासिल नहीं कर सकते। राष्ट्रपति ने इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और वी रामा कृष्णन, अमिताभ बच्चन, शाहरख खान, रजनीकांत, वहीदा रहमान (सभी सिनेमा), सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, लिएंडर पेस (खेल), जुबिन मेहता, एआर रहमान और हरि प्रसाद चौरसिया (संगीत), भारत रत्न पुरस्कार विजेता सीएनआर राव, प्रसिद्ध वकील फली नरीमन, सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट और अनीश कपूर (कला) समेत 25 प्रतिष्ठित हस्तियों को सम्मानित किया।

उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि इन सभी में एक बात समान है कि ये सभी परिश्रम, ईमानदारी और काम के लिए प्रतिबद्धता में भरोसा करते हैं। प्रणब ने कहा कि हम इन 25 महान भारतीयों के जबरदस्त प्रदर्शन से यह सीख ले सकते हैं कि हम शीर्ष पर पहुंचने के लिहाज से सफलता का कोई छोटा रास्ता नहीं अपना सकते।
  
राष्ट्रपति ने कहा कि 1930 के दशक के आखिर में सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद भारतीय विश्वविद्यालय में काम कर रहे किसी भारतीय विद्वान, किसी भारतीय अनुसंधानकर्ता को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। क्यों।

उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली शिक्षकों, विद्यार्थियों की कमी नहीं है लेकिन हम उनके तालमेल में विफल हैं। हम अमर्त्य सेन, वेंकटराम कृष्णन, हरगोविंद खुराना और अन्य ऐसे कई व्यक्तित्व देने वाले माहौल को प्राथमिकता देने में विफल हैं।

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