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अमेरिकी सैनिक समझौते पर करजई ने रखीं शर्तें

अफगानिस्तान की एक महासभा ने कुछ अमेरिकी सैनिकों के 2014 के बाद भी यहां रुके रहने की इजाजत देने वाले एक अहम सुरक्षा समझौते को मंजूरी दे दी है। हालांकि राष्ट्रपति हामिद करजई ने इस समझौते पर हस्ताक्षर...

अमेरिकी सैनिक समझौते पर करजई ने रखीं शर्तें
एजेंसीSun, 24 Nov 2013 05:51 PM
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अफगानिस्तान की एक महासभा ने कुछ अमेरिकी सैनिकों के 2014 के बाद भी यहां रुके रहने की इजाजत देने वाले एक अहम सुरक्षा समझौते को मंजूरी दे दी है। हालांकि राष्ट्रपति हामिद करजई ने इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए कुछ शर्तें रखी है।

करीब 2500 कबायली सरदारों और नेताओं की सभा लोया जिरगा ने काबुल में सख्त सुरक्षा के तहत चार दिनों तक चली चर्चा के अंत में आम राय से इस समझौते का समर्थन किया। लोया जिरगा ने करजई से साल के अंत तक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने को कहा, जो 2014 के बाद सैनिकों की मौजूदगी का संचालन करेगा। 2014 में नाटो के अधिकांश बलों को वापस भेजा जाना है।

करजई ने बृहस्पतिवार को सभा के शुरू होने पर कहा था कि इस समझौते पर अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक हस्ताक्षर नहीं किया जाएगा। जिस पर, वाशिंगटन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की क्योंकि अमेरिका इस पर साल के अंत तक हस्ताक्षर चाहता है। हालांकि, प्रतिनिधियों की सहमति वाले आखिरी बयान में उनसे 2013 के अंत तक हस्ताक्षर करने की बात कही गई।

जिरगा के उप प्रमुख फजुल करीम इमाक ने बयान पढ़ते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति में और अफगानिस्तान की जरूरत को देखते हुए इस समझौते की विषय वस्तु को इस लोया जिरगा के सदस्यों ने कुल मिलाकर मंजूरी दे दी है। वहीं करजई ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए यह स्पष्ट नहीं किया कि इस समझौते पर कब हस्ताक्षर किया जाए। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ कुछ विशेष शर्तों के तहत होगा।

इन शर्तों में तालिबान के साथ शांति कायम करने की अफगानिस्तान की कोशिश में अमेरिकी सहयोग शामिल है, क्योंकि तालिबान ने करजई शासन और इसके विदेशी समर्थकों के खिलाफ 12 साल तक विद्रोह का नेतृत्व किया है। करजई ने यह भी शर्त रखी कि अफगानों के घरों में अमेरिकी सैन्य बलों की अब छापेमारी नहीं हो।

यह एक संवेदनशील विषय है जिससे पिछले हफ्ते समझौते पर चर्चा के बेपटरी होने का खतरा पैदा हो गया था। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका अफगान घरों में एक बार और घुसता है तो कोई समझौता नहीं होगा। मैं इस बात को दोहराता हूं कि यदि वे हमारे घरों में एक बार और घुसते हैं तो कोई समझौता नहीं होगा।

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