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बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं निचले पायदान पर

राज्य सरकार सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिली केन्द्रीय राशि का 50 फीसदी ही खर्च कर पा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में केन्द्र ने राज्य को 71रोड़...

 बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं निचले पायदान पर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य सरकार सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिली केन्द्रीय राशि का 50 फीसदी ही खर्च कर पा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में केन्द्र ने राज्य को 71रोड़ रुपए दिये जिसमें 300 करोड़ रुपए खर्च हुए। वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य को इस मद में 0 करोड़ रुपए मिले हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. अन्बुमणि रामदास के संवाददाता सम्मेलन में दिये निर्देश पर मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। डा. रामदॉस ने स्वीकार किया कि बिहार, उत्तरप्रदेश एवं उड़ीसा की स्वास्थ्य सेवाएं पूर देश में निचले पायदान पर हैं। स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में यहां अभी बहुत काम करने की आवश्यकता है।ड्ढr ड्ढr उन्होंने कहा कि बिहार में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए केन्द्र सरकार नियमों को शिथिल कर सकती है। मेडिकल कॉलेज खोलने के मामले में भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को बायपास करने की केन्द्र सरकार की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि पटना एम्स के हास्पिटल एवं आवासीय भवनों का निर्माण नवम्बर से शुरू हो जाएगा। संस्थागत प्रसव एवं बन्ध्याकरण के मोर्चे पर राज्य सरकार के कार्यो को संतोषजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में यहां कई क्षेत्रों में बढ़िया काम हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए एनआरएचएम के तहत स्वास्थ्य बजट की 80 फीसदी राशि खर्च हो रही है। खासकर बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए काफी काम किया जाना है। एनआरएचएम में शामिल 18 राज्यों में ये राज्य भी शामिल हैं। ड्ढr प्रोटोकॉल पर किताब प्रकाशित होगीड्ढr पटना (हि.ब्यू.)। बिहार विधान परिषद प्रोटोकोल पर पुस्तक प्रकाशित करगी ताकि अधिकारियों को यह पता रहे कि उन्हें सांसदों और विधायकों के साथ कैसा व्यवहार करना है। इस संबंध में विधान परिषद के सचिव मुंगेश्वर साहु ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि नये नियुक्त होने वाले अधिकारियों के प्रशिक्षण में प्रोटोकोल से संबंधित विषय भी शामिल होना चाहिए।ो्रोटोकोल पर पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति ने लिया है।ड्ढr ड्ढr इस पुस्तक में उन परिपत्रों को संकलित किया जाएगा जिन्हें बिहार सरकार ने समय-समय पर प्रोटोकोल को लेकर जारी किए हैं। इसके लिए संसदीय आचार से संबंधित जिन पुस्तकों में प्रोटोकोल को लेकर सामग्री है उन्हें भी इसमें संग्रहित किया जाएगा। इस पुस्तक को संकलित और संपादित करने के लिए संसदीय कार्य विभाग के सचिव पंचम लाल को अधिकृत करने के लिए कहा गया है।ड्ढr सबसे हैरत वाली बात यह है कि इस पुस्तक को संकलित और संपादित करने की जिम्मेवारी उस अधिकारी को सौंपी गई है जिनके वक्तव्यों से कई बार राजनीतिक हलकों में तूफान खड़ा हो चुका है। पत्र में इस पुस्तक को संकलित और संपादित करने की जिम्मेवारी संसदीय कार्य विभाग के सचिव पंचम लाल को सौंपने के लिए मुख्य सचिव से कहा गया है। पत्र यह भी कहा गया है कि श्री लाल का तबादला यदि दूसर किसी विभाग में हो जाता है तो भी पुस्तक संपादन उनके ही जिम्मे रखा जाए।ं

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