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FILM REVIEW: मिकी वायरस

लोजी, साड्डी दिल्ली दा मुंडा मनीष पॉल भी हीरो बन गया है। और बड़ी अजीब सी आवाज में गाना भी गा रहा है प्यार चाइना का माल है...ये गीत सुनने में बेहद अजीब लगे, लेकिन फिल्म के साथ मैच करता है। चलिए मुद्दे...

FILM REVIEW: मिकी वायरस
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 26 Oct 2013 09:49 AM
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लोजी, साड्डी दिल्ली दा मुंडा मनीष पॉल भी हीरो बन गया है। और बड़ी अजीब सी आवाज में गाना भी गा रहा है प्यार चाइना का माल है...ये गीत सुनने में बेहद अजीब लगे, लेकिन फिल्म के साथ मैच करता है। चलिए मुद्दे पर आते हैं और फिल्म की कहानी को परदे की हार्ड डिस्क से निकाल कर आपके कम्प्यूटर के डेस्कटॉप पर लाते हैं।

चूंकि फिल्म की कहानी, पात्र और विषय-वस्तु सहित तमाम अन्य बातें भी कंपू बाबा और इंटरनेट से जुड़े हैं तो अपनी भाषा भी अपने आप कुछ वैसी ही हो चली है। कहानी का मुख्य पात्र है मिकी (मनीष पॉल), जिसके कर्मकांड किसी वायरस की ही तरह है। वो जहां जाता है अच्छे-अच्छों की फाइल करप्ट कर देता है।

मिकी एक हैकर है और दिल्ली के हैकरों की जमात का एक आलसी कीड़ा भी, जिसने एक छोटी सी दिखने वाली लेकिन बड़ी हेराफेरी को अंजाम दिया है। उसके संगी साथी जैसे चटनी (पूजा गुप्ता), फ्लॉपी (राघव कक्कड़) और पैंचो (विकेश कुमार) भी उसी की तरह हैकर्स हैं। इनका एक गुरु भी है, जिसे सब प्रोफेसर (नीतेश पांडे) कहते हैं।

एक दिन दिल्ली पुलिस को दो अनजान विदेशियों की रहस्यमय परिस्थितियों नें लाश मिलती है, जिनकी बाद में शिनाख्त होती है प्रसिद्ध हैकर्स के रूप में। मामले की छानबीन एसीपी सिद्धांत चौहान (मनीष चौधरी) और इंस्पेक्टर भल्ला (वरुण बडोला) के जिम्मे आती है। उन्हें एक बड़े हैकर्स गैंग भ्रम की तलाश करनी है, जिसके लिए वे पहुंच जाते हैं मिकी की शरण में।

लेकिन मिकी आसानी से उनके लिए काम करने के लिए राजी नहीं होता। क्योंकि उसे अपने सपनों की प्रेमिका मिल चुकी है। नाम है कामायनी (एली अवराम), जिसे वह अब तक एक वर्चुअल गर्ल के रूप में महसूस करता आया है। कामायनी के आते ही आलसी मिकी का काम बढ़ जाता है। वो एक तरफ पुलिस की मदद करने लगता है तो दूसरे तरफ कामायनी का हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर दुरुस्त करने में जुट जाता है।

एक दिन कामायनी अपनी कंपनी के एकॉउंट से एक बड़ी रकम गलती से किसी दूसरे के एकाउंट में ट्रांसफर कर बैठती है, जिसे मिकी चुटकियों में वापस ला देता है। सब कुछ बेहद आसानी से ठीक हो जाता है, लेकिन मिकी को अगले दिन पता चलता है कि कामायनी का खून हो गया है। वो समझ नहीं पाता कि एक रात में आखिर ऐसा क्या हुआ। चौहन और भल्ला कामायनी के कत्ल की छानबीन में जुट जाते हैं और मिकी को भी इसमें शामिल कर लेते हैं। लेकिन जल्द ही मिकी को एहसास होने लगता है कि इस पूरे जाल में कई ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिनके बारे में वो सपने में भी नहीं सोच सकता।

कुछेक अनपचेबल दांव-पेंच को छोड़ दें तो निर्देशक सौरभ वर्मा की कहानी अच्छी है। इंटरवल के बाद फिल्म की गति भी अच्छी है। लेकिन मनीष पॉल ठहरे एंकर। अभिनय उनके बस की बात नहीं लगती। वो विभिन्न मंचों पर फिल्म-टीवी सितारों की टांग खींचते रहते हैं। अब उन्हें अपनी टांग की चिंता होनी चाहिये। फिल्म के बहुतेरे दृश्यों में वे गच्चा खा गये हैं। एक लफंदर हैकर के रूप में उन्हें असानी से पचाना मुश्किल है। मनीष में एनर्जी अच्छी है। लेकिन कॉमिक टाइमिंग ठीक नहीं है। भाव आते-आते रह जाते हैं। यही बात एली अवरम पर भी लागू होती है। उनकी शक्ल-ओ-सूरत मॉडलिंग और बिगबॉस के लिए ही ठीक है।

फिल्म में केवल एक शो-पीस की तरह दिखती हैं। फिल्म को थोड़ा बहुत मनोरंजक बनाए रखा है तो बस बाकी के चरित्र कलाकारों ने। सौरभ वर्मा ने दिल्ली में ‘विक्की डोनर’ इफेक्ट डालने की बहुतेरी कोशिश की है, लेकिन जो दिल्ली और जिस तरह के दिल्लीवाले वो दिखाना चाह रहे हैं, वो सतही खोज लगते हैं। फिर भी फिल्म के कई हिस्से ऐसे बन पड़े हैं, जिन्हें देख गुदगुदी होती है। मजा आता है और लगता है कि इस कहानी को कहने के लिए काश कुछ ढंग के कलाकार होते तो और मजा आता। इस फिल्म के हैकर्स को देख लगता है कि ऐसे हैकर्स तो शायद हमारे अगल-बगल ही खड़े हैं।

फिल्म में कम्प्यूटर फील्ड की ट्रैंडी भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जो कहीं कहीं अखरता है तो कुछेक जगहों पर ठीक भी लगता है। कुल मिलाकर मिकी वायरस एक अच्छा प्रयास है, लेकिन इस पूरे विषय को बेहद सस्ते अंदाज में बयां कर दिया गया है। अगर आपको इस वायरस से अपने पर्स के क्रैश होने का डर नहीं सता रहा है तो बेशक देख डालें। वर्ना किसी एंटी वायरस को खरीद पर्स का वायरस दूर करने का जोखिम न लें। वन टाइम वॉच, केवल टाइमपास मूवी है मिकी वायरस।

सितारे: मनीष पॉल, एली अवराम, मनीष चौधरी, वरुण बडोला, पूजा गुप्ता, नितेश पांडे, राघव कक्कड़, विकेश कुमार
निर्देशक-लेखक: सौरभ वर्मा
निर्माता: अरुण रंगाचारी, विवेक रंगाचारी
बैनर: डार मोशन पिक्चर्स
संगीत: हनीफ शेख, फैजान हुसैन, एंजिल रोमन

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