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घरेलू क्रिकेट में शतक जमाकर रचा था सचिन ने इतिहास

रनों का अंबार लगाने और रिकार्डों के लिए बने सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में शुरू में ही भारत के तीन महत्वपूर्ण घरेलू टूर्नामेंटों रणजी, दलीप और ईरानी ट्राफी के अपने पदार्पण मैचों में शतक जड़कर नया...

घरेलू क्रिकेट में शतक जमाकर रचा था सचिन ने इतिहास
एजेंसीTue, 22 Oct 2013 04:49 PM
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रनों का अंबार लगाने और रिकार्डों के लिए बने सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में शुरू में ही भारत के तीन महत्वपूर्ण घरेलू टूर्नामेंटों रणजी, दलीप और ईरानी ट्राफी के अपने पदार्पण मैचों में शतक जड़कर नया इतिहास रचा था।

तेंदुलकर जब 15 साल 232 दिन के थे तब उन्होंने अपना पहला रणजी मैच खेला और उसी में नाबाद 100 रन की पारी खेली। इसके बाद उन्होंने ईरानी ट्राफी के अपने पहले मैच में 103 और दलीप ट्राफी में पदार्पण करने पर 159 रन बनाये थे। वह एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने भारत के इन तीन शीर्ष टूर्नामेंट में अपने पहले मैच में ही शतक लगाया।

अगले महीने अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा करने वाले तेंदुलकर ने राष्ट्रीय क्रिकेट चैंपियनशिप रणजी ट्राफी में अपना पहला मैच दस से 12 दिसंबर 1988 के बीच गुजरात के खिलाफ अपने घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम में खेला था। बंबई ने अपनी पहली पारी में छह विकेट पर 394 रन बनाये थे जिसमें तेंदुलकर ने नाबाद 100 रन बनाए थे। 

तेंदुलकर का शतक पूरा होने के कुछ देर बाद ही बंबई (अब मुंबई) के कप्तान लालचंद राजपूत ने पारी समाप्ति की घोषणा कर दी थी। तेंदुलकर हालांकि तब तक रिकार्ड बना चुके थे। वह रणजी ट्राफी में पदार्पण मैच में ही शतक जड़ने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए थे।

तेंदुलकर ने इसके एक साल बाद नवंबर 1989 में पाकिस्तान दौरे से ठीक पहले शेष भारत की तरफ से दिल्ली के खिलाफ ईरानी ट्राफी मैच में हिस्सा लिया था। यह मैच तीन से सात नवंबर 1989 के बीच वानखेड़े में खेला गया था। तेंदुलकर पहली पारी में 39 रन बनाकर मनिंदर सिंह की गेंद पर बोल्ड हो गए थे लेकिन दूसरी पारी में वह शतक जमाने में सफल रहे थे।

शेष भारत के सामने 555 रन का बड़ा लक्ष्य था लेकिन उसके केवल तीन बल्लेबाज दोहरे अंक में पहुंचे थे। इनमें युवा तेंदुलकर ने 103 रन की आकर्षक पारी खेली थी। वह 174 मिनट तक क्रीज पर रहे और इस बीच 145 गेंद का सामना करके 14 चौके और एक छक्का लगाया था।

इस स्टार बल्लेबाज को दलीप ट्राफी में अपना पहला मैच खेलने का मौका 1991 में मिला था। गुवाहाटी के नेहरू स्टेडियम में 11 से 15 जनवरी के बीच खेले गये इस मैच में रवि शास्त्री की अगुवाई वाले पश्चिम क्षेत्र ने पूर्व क्षेत्र के खिलाफ पहले बल्लेबाजी करते हुए 604 रन बनाए। तेंदुलकर ने 159 रन बनाये जो उनका तब प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उच्चतम स्कोर था।

तेंदुलकर की पारी का अंत करने में सौरव गांगुली ने अहम भूमिका निभाई थी। अविनाश कुमार की गेंद पर गांगुली ने ही उनका कैच लिया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि गांगुली ने भी इस मैच में नाबाद 124 रन बनाए जो उनका प्रथम श्रेणी मैचों में पहला शतक था। वैसे तेंदुलकर और गांगुली इससे पहले कानपुर में एक दूसरे से मिल चुके थे। विजय हजारे ट्राफी (अंडर 15) के 25 से 27 नवंबर 1987 के बीच खेले गए मैच में भी तेंदुलकर ने शतक (175 रन) जड़ा था और तब भी उनका कैच गांगुली ने लपका था। गांगुली और तेंदुलकर ने बाद में टेस्ट और वनडे में कई यादगार साझेदारियां निभायी। टेस्ट मैचों में इन दोनों ने 71 पारियों में 4173 रन की साझेदारी की।

 

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