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ओलंपिक मैडल जीतना, बचपन से है ख्वाब

गाची बॉउली स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का बैडमिंटन हॉल। सुनसान, सिर्फ चार लोग इसमें नजर आ रहे हैं। दो कोच और दो प्लेयर। इन चार लोगों में एक हैं भारतीय बैडमिंटन की वंडर गर्ल सायना नेहवाल। 18 वर्षीय सायना...

 ओलंपिक मैडल जीतना, बचपन से है ख्वाब
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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गाची बॉउली स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का बैडमिंटन हॉल। सुनसान, सिर्फ चार लोग इसमें नजर आ रहे हैं। दो कोच और दो प्लेयर। इन चार लोगों में एक हैं भारतीय बैडमिंटन की वंडर गर्ल सायना नेहवाल। 18 वर्षीय सायना कोच पुलेला गोपीचंद के साथ ओलंपिक की तैयारियों में लगी हैं। कोर्ट के एक तरफ हैं गोपी तो दूसरी तरफ सायना। सायना के हाथ में रैकेट है तो गोपी के हाथ में सिर्फ शटल। 30-30, 40-40 शटल का सेट बना कर गोपी को दिया जाता है वे एक-एक शटल निकाल कर सायना की ओर थ्रो कर रहे हैं और सायना स्मैश पर स्मैश लगा रही हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। इसके बाद शुरू होती है ड्रॉप शॉट की प्रैक्िटस। लगभग चार घंटे के कड़े अभ्यास के बाद सायना दिल्ली से आए कुछ पत्रकारों के साथ रूबरू होती हैं और अपनी ओलंपिक तैयारियों के बारे में बताती हैं। सायना कहती हैं, आजकल बैडमिंटन के अलावा किसी और चीज के बारे में सोचने तक की फुर्सत नहीं है। सुबह 5.30 बजे उठती हूं, फ्रैश होकर सीधा स्टेडियम पहुंच जाती हूं। लगभग 4 घंटे की प्रैक्िटस के बाद घर पहुंचती हूं। खाना खाया और सो गई। तीन बजे फिर स्टेडियम और 8 बजे तक प्रैक्िटस। घर पहुंची, खाना-वाना खाया और गाना सुनते-सुनते सो गई। लगभग पिछले एक साल से यह सिलसिला चल रहा है। आजकल मैं अपने शॉट इम्प्रूव करने में लगी हूं। इस साल एशियाई सर्किट में मैंने अच्छा किया। हां, जो कमियां थीं उन्हें दूर करने का प्रयास कर रही हूं। डिफेंस में कुछ कमियां हैं उन पर काम चल रहा है। सायना के माता-पिता दोनों राय स्तर के बैडमिंटन खिलाड़ी रहे। यही कारण था कि उन्होंने अपने बच्ची को भी इसी खेल में डाला। उनकी इसी बेटी से आज करोड़ों भारतीय ओलंपिक पदक की उम्मीद लगाए हैं। वे खुद भी कहती हैं, बचपन से ओलंपिक मैडल मेरा सपना था। मैं पूरी कोशिश करूंगी। काफी मेहनत कर रही हूं। हां, मुझ पर प्रैशर नहीं है। मम्मी-पापा भी कहते हैं कि किसी तरह का प्रैशर मत लो। ओलंपिक को भी एक क्लब टूर्नामेंट की तरह खेलो और अपना बेस्ट करने की कोशिश करो। मैडल आए या न आए, 2-3 टॉप प्लेयरों को हराना चाहतीं हूं। कॉमर्स से ग्रेजुएशन कर रहीं सायना कहती हैं, पिछले साल मैंने काफी गलतियां की थीं। प्रदर्शन से डिप्रेश हो गई थी। सोचती थी, क्या करूं। छोड़ दूं बैडमिंटन। फिर मेरे दिल ने कहा, नहीं सायना, अभी तुम्हें लम्बा सफर तय करना है। उसके बाद मैंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। देखिए, यह साल अच्छा रहा। रैंकिंग में भी सुधार हुआ। आज टॉप-20 में हूं। जल्द ही टॉप-10 में आना चाहती हूं। सिंगापुर ओपन के सेमीफाइनल में पहुंची। उसके बाद थाइलैंड ओपन के क्वार्टर फाइनल में टॉप सीड को कड़ी टक्कर दी। कहती हैं, ‘इन दिनों मैं अच्छा खेल रही हूं और उम्मीद है कि बीजिंग में अच्छा रिजल्ट आएगा। एशिया सर्किट में कुछ बड़ी खिलाड़ियों के साथ खेल कर काफी कांफीडेंस आया है।’ फिटनेस पर भी आजकल बहुत मेहनत कर रही हूं। वजन काफी कम किया है। साइड मूवमेंट में परेशानी होती थी। वजन कम होने से इसमें काफी सुधार हुआ है। कोच गोपी के साथ ट्रैनिंग कैसी चल रही है, पूछने पर कहती हैं, वे अच्छी ट्रेनिंग कराते हैं। वे हर खिलाड़ी के खेल को जानते हैं। किसमें क्या कमियां है और क्या खूबियां उसी को देखते हुए ट्रेनिंग कराते हैं। लगभग चार घंटे की प्रैक्िटस के बाद सायना अपनी लाल रंग की मारुति-800 को खुद ड्राइव करते हुए अपने घर की ओर रवाना हो जाती हैं। खामियां दूर कर रहे हैं : गोपीड्ढr सायना के कोच पुलेला गोपीचंद कहते हैं, ‘सायना के पास इसके बाद भी अभी कम से कम दो और ओलंपिक खेलने का चांस है। उसमें अच्छा करने की क्षमता है। उसे बिना किसी दबाव के ओलंपिक में खेलना चाहिए। ओलंपिक में बेस्ट प्लेयर पहुंचते हैं। टॉप 12-14 प्लेयरों का तो लेवल एक जसा होता है इसलिए सायना यदि क्वार्टर फाइनल तक भी पहुंचती हैं तो यह अच्छा रिजल्ट होगा।’ ऑल इंग्लैंड चैंपियन गोपी कहते हैं, ‘इन दिनों हम पिछले कुछ महीनों में सायना ने जो गलतियां की हैं उन पर काम कर रहे हैं।’

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