फोटो गैलरी

Hindi Newsबहुमुखी प्रतिभा के धनी थे गुरुदत्त

बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे गुरुदत्त

भारतीय सिनेमा जगत में गुरुदत्त को एक ऐसे कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने फिल्म निर्माण, निर्देशन, नृत्य निर्देशन और अभिनय की प्रतिभा से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया।...

बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे गुरुदत्त
एजेंसीThu, 10 Oct 2013 10:40 AM
ऐप पर पढ़ें

भारतीय सिनेमा जगत में गुरुदत्त को एक ऐसे कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने फिल्म निर्माण, निर्देशन, नृत्य निर्देशन और अभिनय की प्रतिभा से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया।
         
9 जुलाई 1925 को कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में एक मध्यम वर्गीय बाण परिवार में जन्में गुरुदत्त मूल नाम वसंत कुमार शिवशंकर राव पादुकोण का रुझान बचपन के दिनों से ही नृत्य और संगीत की तरफ था। उनके पिता शिवशंकर पादुकोण एक स्कूल मे हेड मास्टर थे जबकि उनकी मां भी स्कूल शिक्षिका थीं।
        
गुरु दत्त ने अपनी प्रांरभिक शिक्षा कलकत्ता शहर मे रहकर पूरी की परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्हें मैट्रिक के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। संगीत के प्रति अपने शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने चाचा की मदद से पांच वर्ष के लिए छात्रवृत्ति हासिल की और अल्मोडा स्थित उदय शंकर इंडिया कल्चर सेंटर मे दाखिला ले लिया। जहां वह उस्ताद उदय शंकर से डांस सीखा करते थे।
       
उदय शंकर से पांच वर्ष तक डांस सीखने के बाद गुरुदत्त पुणे के प्रभात स्टूडियो में तीन वर्ष के अनुबंध पर बतौर नृत्य निर्देशक शामिल कर लिए गए। वर्ष 1946 मे गुरुदत्त ने प्रभात स्टूडियो की निर्मित फिल्म 'हम एक है' से बतौर कोरियोग्राफर अपने सिने करियर की शरूआत की।
       
इस बीच गुरुदत्त को प्रभात स्टूडियो की निर्मित कुछ फिल्मों में अभिनय करने का मौका भी मिला। वर्ष 1951 में प्रदर्शित देवानंद की फिल्म 'बाजी' की सफलता के बाद गुरुदत्त बतौर निर्देशक अपनी पचान बनाने में कामयाब हो गए। इस फिल्म के निर्माण के दौरान उनका झुकाव पाश्र्वगायिका गीता राय की ओर हो गया और वर्ष 1953 में गुरुदत्त ने उनसे शादी कर ली।
     
वर्ष 1952 मे अभिनेत्री गीता बाली की बड़ी बहन हरिदर्शन कौर के साथ मिलकर गुरुदत्त ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र मे भी कदम रखा लेकिन वर्ष 1953 मे प्रदर्शित फिल्म 'बाज' की नाकामयाबी के बाद गुरुदत्त ने स्वयं को उनके बैनर से अलग कर लिया और इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की फिल्म कंपनी और स्टूडियो बनाया जिसके बैनर तले वर्ष 1954 में उनहोंने आर पार का निर्माण किया। 
       
'आरपार' की कामयाबी के बाद उन्होंने बाद में 'सी.आई.डी', 'प्यासा', 'कागज के फूल', 'चौदहवीं का चांद' और 'साहब बीवी और गुलाम' जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया। गुरुदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी जिनमें 'बाजी', 'जाल' और 'बाज' शामिल है। इसके अलावा उन्होंने 'लाखारानी', 'मोहन', 'गर्ल्स होस्टल' और 'संग्राम' जैसी कई फिल्मों का सहनिर्देशन भी किया।
           
वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म 'बाज' के साथ गुरुदत्त ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रखा और इसके बाद 'सुहागन', 'आरपार', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'प्यासा', '12ओ कलॉक', 'कागज के फूल', 'चौदहवी का चांद', 'सौतेला भाई', 'साहिब बीवी और गुलाम', 'भरोसा', 'बहूरानी', 'सांझ और सवेरा' और 'पिकनिक' जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया।
       
वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म 'आरपार' की कामयाबी के बाद गुरुदत्त की गिनती अच्छे निर्देशकों में होने लगी। इसके बाद उन्होंने 'प्यासा' और 'मिस्टर एंड मिसेज 55' जैसी फिल्में भी बनायी। वर्ष 1959 में अपनी निदेर्शित फिल्म 'कागज के फूल' की बॉक्स ऑफिस पर असफलता के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि भविष्य में वह किसी और फिल्म का निर्देशन नहीं करेंगें।
      
ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म 'साहिब, बीवी और गुलाम' हालांकि गुरुदत्त ने ही बनायी थी लेकिन उन्होंने इसका श्रेय फिल्म के कथाकार अबरार अल्वी को दिया।
    
वर्ष 1957 में गुरुदत्त और गीता दत्त की विवाहित जिंदगी में दरार आ गई। इसके बाद गुरुदत्त और गीता दत्त ने अलग अलग रहने लगे। इसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि उस समय उनका नाम अभिनेत्री वहीदा रहमान के साथ भी जोड़ा जा रहा था। गीता राय से जुदाई के बाद गुरुदत्त टूट से गए और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे में डूबो दिया।
      
10 अक्टूबर 1964 को अत्यधिक मात्र मे नींद की गोलियां लेने के कारण गुरुदत्त इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर चले गए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें