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नायिका नहीं, खलनायिका हूं मैं: कंगना

कंगना किसी स्टार परिवार से नहीं हैं। शुरुआत में उन्होंने फिल्में भी ऐसी की, जो लीक से हट के थीं। तनु वेड्स मनु की कामयाबी को कोई खास नहीं भुना पाई कंगना। और अब वो पूरे कान्फिडेंस के साथ लौट रही हैं...

नायिका नहीं, खलनायिका हूं मैं: कंगना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 05 Oct 2013 12:26 PM
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कंगना किसी स्टार परिवार से नहीं हैं। शुरुआत में उन्होंने फिल्में भी ऐसी की, जो लीक से हट के थीं। तनु वेड्स मनु की कामयाबी को कोई खास नहीं भुना पाई कंगना। और अब वो पूरे कान्फिडेंस के साथ लौट रही हैं कृष 3 में खलनायिका बन कर। उनसे एक दिलचस्प बातचीत

आज आप जहां हैं, उससे कितनी खुश हैं?
मैं यह नहीं कह सकती कि मैं जहां हूं, वहां नहीं पहुंचना चाहती थी, लेकिन बॉलीवुड सबसे असुरक्षित इंडस्ट्री है। यहां सफलता-असफलता को लेकर कोई दावा नहीं कर सकता। यहां सुबह नींद खुलते ही काम का ऑफर मिल सकता है तो यह भी हो सकता है कि छह माह तक कोई ऑफर ही न मिले।

आजकल आप सोशल साइट्स पर काफी सक्रिय हैं?
आज दर्शकों व अपने प्रशंसकों से सीधा संपर्क बनाए रखने की खातिर हर कलाकार के लिए वेबसाइट, ट्विटर, फेसबुक जैसी सोशल साइट्स जरूरी हो गई हैं। मेरा अपना ट्विटर या फेसबुक एकाउंट नहीं है, पर अब कोई भी मेरी वेबसाइट के जरिये आसानी से मुझ तक पहुंच सकता है। हां, मैंने यह कदम बहुत देर से उठाया है। मैं कई फिल्मों में टाइटल रोल कर रही हूं, जैसे ‘क्वीन’, ‘रिवॉल्वर रानी’और ‘रज्जो’। यह वे फिल्में हैं, जहां दर्शकों की अपेक्षा रहेगी कि वह मुझसे संपर्क करें या मैं स्वयं उन तक अपनी बातों को पहुंचाना चाहूंगी।

फिल्म ‘कृष 3’ और अपने कॉस्टय़ूम को लेकर क्या कहेंगी?
यह एक बेहतरीन साइंस फिक्शन फिल्म है। बहुत बडे़ स्तर पर बनायी गयी है। इस तरह की फिल्में आम तौर पर नहीं बनतीं। इसका बजट बहुत ज्यादा है। इस फिल्म के निर्माण में तीन साल का वक्त लगा। इस फिल्म में मैंने विलेन काया का किरदार निभाया है, जो आधी इंसान, आधी जानवर है। इसके लुक व कॉस्टय़ूम को डिजाइन करने के लिए डिजाइनर गेविन मिगल ने 25 स्केच बनाए थे। उनमें से एक चुना गया। यह कॉस्टय़ूम ‘रबर लेटेक्स बॉडी सूट’है। इसे पहनना आसान नहीं था। पहनने में दो घंटे का समय लगता था। पहनने से पहले शरीर में तेल लगाना पड़ता था। बॉलीवुड में अब तक किसी कलाकार ने इस तरह का कॉस्टय़ूम नहीं पहना है।

क्या आपको नहीं लगता कि करियर के इस मोड़ पर वैम्प का रोल करना खतरनाक हो सकता है?
मैं ऐसा नहीं सोचती। कृष में मेरा रोल महत्वपूर्ण है और अलग है। मैं वैम्प हूं, पर हीरो के साथ नाचती-गाती हूं। वैसे भी आज के दौर में नायक और खलनायक के बीच की दूरी मिट-सी गई है। मैं एक कलाकार हूं, जो रोल अच्छे लगेंगे, करूंगी।

ऐसा नहीं लगता कि ‘रज्जो’ करके आपने रिस्क लिया है?
जी हां! मैंने बहुत बड़ा रिस्क उठाया है। निर्देशक विश्वास पाटिल की इस फिल्म में मैंने शीर्ष भूमिका निभाई है, जो एक मुजरे वाली की है। यह एक रीयल लाइफ मुजरेवाली की जिंदगी की दर्दनाक कहानी है, जो मुंबई के नागपाडम इलाके में रहती है। इस किरदार को समझने के लिए मैं खुद नागपाड़ा गयी थी। मुजरेवालियों के पान खाने के तौर-तरीकों को देखा व समझा, इनके बात करने के लहजे को समझा। इसमें मराठी एक्सेंट भी है।

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