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किसान आयोग का सुझाव: पांच वर्ष पर हो कृषि विशेषज्ञों का तबादला

राज्य किसान आयोग की अनुशंसा अगर मान ली गई तो कृषि विज्ञान केन्द्रों (केविके)में पदस्थापित कृषि विशेषज्ञों को बार-बार के तबादले के झंझट से मुक्ित मिल जायेगी। आयोग ने कृषि विकास के लिए जो सुझाव राज्य...

 किसान आयोग का सुझाव: पांच वर्ष पर हो कृषि विशेषज्ञों का तबादला
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य किसान आयोग की अनुशंसा अगर मान ली गई तो कृषि विज्ञान केन्द्रों (केविके)में पदस्थापित कृषि विशेषज्ञों को बार-बार के तबादले के झंझट से मुक्ित मिल जायेगी। आयोग ने कृषि विकास के लिए जो सुझाव राज्य सरकार को दिये हैं, उसमें कहा है कि इन विशेषज्ञों का स्थनांतरण पांच वर्ष पर होना चाहिए।ड्ढr ड्ढr अनुशंसा के अनुसार कार्रवाई हुई तो विशेषज्ञों की एक परशानी बढ़ जायेगी। वे अपनी सुविधा और बच्चों की पढ़ाई के नाम पर केन्द्र परिसर से बाहर नहीं रह सकेंगे। उन्हें अपना आवास केविके परिसर में ही रखना होगा। केन्द्र के अन्य कृषि विशेषज्ञों के अलावा कार्यक्रम समन्वयक भी इस परिधि में आयेंगे। आयोग ने सरकार को यह सुझाव केन्द्र के कार्यकलापों में स्थिरता लाने के लिए दिया है। इससे क्षेत्र में किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं एक ही टीम की देखरख में मुकाम तक पहुंचाई जा सकती हैं। इससे किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर जिम्मेवारी तय करना भी आसान हो जायेगा। हालांकि आयोग ने यह भी कहा है कि जरूरी होने पर कम से कम तीन वर्ष के बाद तबादला होना चाहिए। इसकी गणना पदभार ग्रहण करने की तिथि से होगी। आयोग ने सुझाव की प्रति राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय को भी भेजी है। राज्य में अरवल को छोड़ सभी 37 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं जिसमें 31 केन्द्र राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के नियंत्रणाधीन हैं। बक्सर जिले के केविके को आईसीएआर संचालित करता है जबकि कैमूर, जमुई, नवादा, मधुबनी और सीतामढ़ी के केन्द्र स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं।

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